धान की रोपाई शुरू, लेबर व पानी की कमी बनी परेशानी
धान की रोपाई 10 जून से शुरू हो गई है लेकिन धान की रोपाई के लिए नहरी पानी व लेबर न मिलने से किसानों को परेशानी का सामना करना पड़ा है। अधिकतर किसानों ने अपने परिवारों सहित ही धान की रोपाई शुरू कर दी है।
सतीश शर्मा, काठगढ़ : धान की रोपाई 10 जून से शुरू हो गई है, लेकिन धान की रोपाई के लिए नहरी पानी व लेबर न मिलने से किसानों को परेशानी का सामना करना पड़ा है। अधिकतर किसानों ने अपने परिवारों सहित ही धान की रोपाई शुरू कर दी है। सतलुज दोआबा लिक नहर किसानों को पानी की सप्लाई देने के लिए उपयोगी मानी जाती है। 10 जून से पहले कम पानी छोड़ा गया था अब पानी को बढ़ा दिया गया है। रोपड़ के हेड से नहर में पानी को छोड़ा जाता है। हेड के 10 से लेकर 12 किलमोटीर तक जिन किसानों की जमीन लगती है उन्हें पानी पूरा मिलता है। उसके बाद के क्षेत्र के किसानों को नहरी पानी नहीं मिल पा रहा ।
पंजाब में कोरोना वायरस को लेकर धान की रोपाई करने वाले मजदूर अपने-अपने राज्य में चले गए हैं, जिसके चलते किसानों को भी लेबर की कमी खलने लगी है।
मौसम पर ही निर्भर है खेती : मोहन सिंह
सरपंच मोहन सिंह चाहल जट्टां ने बताया कि उनका काम तो मौसम और समय के ही अनुसार होगा, अगर समय पर फसल काटेंगी नहीं, बोएंगे नहीं तो कसे गुजारा हो पाएगा। किसान चारों तरफ से परेशान रहता है।
परिवार के साथ कर रहे धान की रोपाई
-किसान हरबंस सिंह ने बताया कि अब हम स्वयं धान की रोपाई परिवार के साथ करेंगे, क्योंकि लेबर नहीं मिल पा रही। वहीं पूर्व सरपंच बीड़ काठगढ़ किसान जसवीर सिंह घुम्मण ने बताया कि पहले नहर में पानी कम था, जहां पर पानी का सुराख ऊंचा है वहां पानी नहीं चढ़ता था, जहां नीचे है, वहां पानी पहुंच जाता है। अब पानी और छोड़ा गया है, अब ठीक है।
एक हजार क्यूसिक पानी छोड़ा गया नहर में : एसडीओ
नहरी विभाग के एसडीओ करणवीर सिंह का कहना है कि किसानों की पानी की सप्लाई की मांग पर ही नहर में पानी को छोड़ा जाता है। अभी तक 900 क्यूसिक पानी छोड़ा गया था। वीरवार रात को इसकी मात्रा को एक हजार क्यूसिक कर दिया जाएगा।