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हम कसम खाते हैं गांवों में करेंगे नशे का खात्मा

जयदेव गोगा, नवांशहर नवांशहर की दाना मंडी में शुक्रवार को जिले के पंचों, सरपंचों, समिति और जिला परि

By JagranEdited By: Published: Sun, 13 Jan 2019 11:54 PM (IST)Updated: Sun, 13 Jan 2019 11:54 PM (IST)
हम कसम खाते हैं गांवों में करेंगे नशे का खात्मा

जयदेव गोगा, नवांशहर

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नवांशहर की दाना मंडी में शुक्रवार को जिले के पंचों, सरपंचों, समिति और जिला परिषद सदस्यों को पद एवं नशे के खिलाफ शपथ दिलाई गई। साथ ही उनसे पंजाब को नशा मुक्त बनाने में सहयोग की अपील की गई। सरकार के इस कदम की लोग सराहना कर रहे हैं।

राज कुमार शारदा ने कहा कि नशा खोरी से निपटने के लिए स्थानीय प्रशासन के सहयोग की अहम जरूरत होती है। स्थानीय नेता, नगर कौंसिल के पार्षद, गांव का मुखिया तथा बाकी संबंधित लोग नशे संबंधी जमीनी हकीकत से वाकिफ होते हैं। अगर यह लोग अपनी जिम्मेवारी को इमानदारी से निभाएं तो ड्रग्स के कारोबार और नशीली दवाओं पर नकेल कसी जा सकती है। हर पुलिस स्टेशन पर थाना स्तर की एक कमेटी होनी चाहिए, जहां हर महीने क्षेत्र के सभी संबंधित वर्गों को एक बार मिलकर ड्रग्स की समस्या को लेकर अपराधों की रोकथाम के उपायों की समीक्षा की जानी चाहिए। इससे नार्कोटिक्स कंट्रोल एजेंसियों को खुफिया सूचनाएं मिलने के साथ उन पर प्रतिबंध लगाने में मदद मिलेगी। इससे ड्रग तस्कर भागने पर मजबूर होंगे और ड्रग्स की आपूर्ति में कमी आएगी।

नशे को दूर करने के लिए कड़ा कदम उठाने की जरूरत: त्रिभुवन शर्मा

एडवोकेट त्रिभुवन शर्मा ने कहा कि नशे से जुड़े मामले का तेजी से निपटारा करने और अपराधियों को कड़ी सजा देने के लिए न्यायपालिका की भी अहम भूमिका होती है। नशे के मामलों की सुनवाई में देर करना, उन्हें उन्हें पुरस्कृत करने जैसा है। भारत जैसे विकासशील देश में नशे की समस्या एक गंभीर मामला है। इसके बुरे नतीजे गहरा नुकसान देने वाले साबित हो सकते है। देश की अर्थ व्यवस्था पर इसका गंभीर व बुरा असर सहज ही देखा जा सकता है। देश की सीमा से बाहर और अंदर से होने वाली तस्करी व अलग-अलग तरीकों से पहुंचने वाली नशीली दवाएं हमारे देश के युवाओं के खून को दूषित करने का सबब बनी हुई हैं।

नशीली दवाओं के इस्तेमाल में हुई है बढ़ोतरी : मदन लाल

मास्टर मदन लाल ने कहा कि देश में गांजा वभांग जैसे प्राकृतिक नशीले पदार्थो का सेवन सदियों से चला आ रहा है। कुछ लोगों में तो परंपरागत रूप से इन नशीले पदार्थों के सेवन करने का रिवाज है, लेकिन आर्थिक समृद्धि और संसाधन बढ़ने के साथ भारत में भी रसायनिक और संश्लेषित नशीली दवाओं के इस्तेमाल में बढ़ोतरी हुई है। नशे की यह किस्म, प्राकृतिक नशीले पदार्तों के मुकाबले न सिर्फ ज्यादा लत पैदा करने वाली है, बल्कि सेहत के लिहाज से नुकसानदायक भी है। पंजाब सहित देश के कई सूबे नशा खोरी की इस गंभीर समस्या से जूझ रहे हैं। नौजवान इस जहर का शिकार बन रहे हैं और जहर के काले कारोबारी इससे मोटा मुनाफा करना रहे हैं।


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