'केंद्र सरकार ने स्वामीनाथन रिपोर्ट लागू नहीं कर किसानों से किया विश्वासघात'
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संवाद सहयोगी, राहों: केंद्र की सत्ता में राज करे मोदी सरकार ने किसानों से वादा किया था कि अगर वह 2014 में मैं उनकी सरकार बनी तो वह किसानों को लाभ देने के लिए स्वामीनाथन रिपोर्ट की लागू करेंगे। लेकिन सत्ता की कुर्सी मिलते ही किसानों के साथ मोदी सरकार ने किया है विश्वासघात। इन विचारों का प्रकटावा किसान मलकीत ¨सह काहलों ने किया। किसानों के हितों में बजट न पेश कर उनकी भावनाओं से खिलवाड़ किया है। आज देश का अन्नदाता चलाने वाला किसान अपने परिवार का पालन पोषण करने में असमर्थ है। बजट में किसानों को 6000 रुपये सालाना किस्तों में देने की बात कर कर सरकार ने उनके साथ भद्दा म•ाक किया है। कमिशन फॉर एग्रीकल्चर कोसट व पैरासिस के मुताबिक गेहू की लागत 1560 रुपए प्रति ¨क्वटल बनती है, जिस पर 1.5 फॉर्मूला लगाकर उसकी कीमत 2340 पर बनती है। परन्तु सरकार की ओर से 1750 रुपये प्रति क्विंटल घोषित किया गया है। जिससे किसानों को 590 रुपये प्रति ¨क्वटल का घाटा पड़ रहा है। केंद्र सरकार के 2019 में आने वाले बजट पर किसानों ने अपनी उम्मीदें लगा रखी थी। लेकिन सरकार किसानों को 6000 रुपये देकर एवं तीन किस्तों में देने का वादा कर रही है क्या तीन किस्तों में दो 2000 पर लेकर क्या देश का अन्नदाता अपने घर का पालन पोषण कर पाएगा। मोदी सरकार को किसान की घोषणा को वापस लेना चाहिए और स्वामीनाथन रिपोर्ट के अनुसार ही गेहूं का रेट तय करना चाहिए। अगर मोदी सरकार ने यह नहीं किया तो किसानों द्वारा सरकार के खिलाफ संघर्ष को तेज किया जाएगा।
2006 से लेकर अभी तक केंद्र की सत्ता में राज करने वाली पार्टियों ने स्वामीनाथन की रिपोर्ट लागू नहीं की। अब किसान जत्थे बंदियों के सहयोग के साथ ही इस रिपोर्ट को लागू करवाया जाएगा।