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ईश्वर बुद्धि व भौतिक नहीं, अध्यात्मिक जगत का विषय

ाी राम कथामृत के अंतिम दिन कथा व्यास साध्वी सुमेधा भारती ने कहा कि ईश्वर तो निराकार हैं लेकिन कभी-कभी दिशा भ्रमित मानव को सही दिशा दिखाने के लिए वह असीम परम सता प्रभु मानव देह को धारण कर धरती पर प्रत्यक्ष हो जाते हैं।

By JagranEdited By: Published: Thu, 06 Feb 2020 05:45 PM (IST)Updated: Thu, 06 Feb 2020 05:45 PM (IST)
ईश्वर बुद्धि व भौतिक नहीं, अध्यात्मिक जगत का विषय
ईश्वर बुद्धि व भौतिक नहीं, अध्यात्मिक जगत का विषय

जेएनएन, नवांशहर : श्री राम कथामृत के अंतिम दिन कथा व्यास साध्वी सुमेधा भारती ने कहा कि ईश्वर तो निराकार हैं, लेकिन कभी-कभी दिशा भ्रमित मानव को सही दिशा दिखाने के लिए वह असीम परम सता प्रभु मानव देह को धारण कर धरती पर प्रत्यक्ष हो जाते हैं। दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान एसडी सीनियर स्कूल में कथा करवा रहा था। सुमेधा भारती ने कहा कि अपने जीवनकाल में ईश्वर अनेक दिव्य लीलाओं से मानव का पथ प्रदर्शित करते हैं। प्रभु की दिव्य लीलाओं को मानव अगर अपनी बुद्धि के स्तर पर समझना चाहे तो वह उसी प्रकार से विफल हो जाएगा, जैसे पर्वत की तलहटी पर खड़ा व्यक्ति पर्वत की ऊंचाई का आकलन करने में विफल हो जाता है। ईश्वर बुद्धि व भौतिक जगत का विषय नहीं है। वह तो अध्यात्मिक जगत का विषय है। अध्यात्मिक जागरण हमारे अंदर राष्ट्र सेवा का सच्चा भाव पैदा करता है। अध्यात्मिक ज्ञान से सराबोर लोग संगिठत होकर समाज की अनेक कुरीतियों पर प्रहार कर उनका समूल विनाश कर सकते हैं। अंतिम दिन की अनिल लडोइया, अनु लडोइया,ओम प्रकाश अरोडा,कमलेश सोडी जी ने विधि पूरव यजमान पूजन किया। कथा के दौरान कुलवंत कौर, विनोद भारद्वाज, स्वामी ऋषिराज, कौंसिल प्रधान ललित मोहन पाठक, रामेश उम्मट, मुकेश बिटू, हरबंस चोपडा, स्नेही मंदिर कमेटी की और से विनोद चोपडा, अश्विनी शर्म, भारती अंगरा, सुनील पाठक व प्रोफेसर दविदर, विशेष रूप मे प्रभु की पावन आरती में शामिल हुए। साध्वी बहनों ने संगीतमय भजनों के माध्यम से उपस्थित जनसमूह को आनंद विभोर किया।

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कैदियों को भी अध्यात्मिक विचार देता है संस्थान

दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान अध्यात्मिक ज्ञान से जन-जन को जाग्रति का संदेश दे रहा है। नेत्रहीन व विकलांग लोगों को ब्रह्मज्ञान प्रदान कर उन्हें आर्थिक रूप से भी समृद्ध बनाने के लिए संस्थान काम कर रहा है। संस्थान भारत की अनेक जेलों में भी कार्यरत है, जहां कैदियों को अध्यात्मिक विचार दिए जाते हैं। आज अनेक कैदी ज्ञान के माध्यम से सुधरकर स्वयं सुधारक बन रहे हैं।


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