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गाय के मूत्र से कैंसर व टीबी सहित ठीक होती हैं लगभग 400 बीमारियां

श्रीराम कथामृत के तीसरे दिन मंगलवार को श्री रामेश अरोडा जोगेश सीमा अजय कमल सुनील सोनिया सुदिर ने विधिपूर्व यजमान पूजन किया।

By JagranEdited By: Published: Tue, 04 Feb 2020 04:59 PM (IST)Updated: Wed, 05 Feb 2020 06:07 AM (IST)
गाय के मूत्र से कैंसर व टीबी सहित ठीक होती हैं लगभग 400 बीमारियां
गाय के मूत्र से कैंसर व टीबी सहित ठीक होती हैं लगभग 400 बीमारियां

जेएनएन, नवांशहर : श्रीराम कथामृत के तीसरे दिन मंगलवार को श्री रामेश अरोडा, जोगेश, सीमा, अजय, कमल, सुनील, सोनिया, सुदिर ने विधिपूर्व यजमान पूजन किया। दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान स्थानीय एसडी सीनियर सेकेंडरी स्कूल कथा करवा रहा है। कथा व्यास साध्वी सुमेधा भारती ने इस अवसर पर प्रवचन करते हुए कहा कि श्रीराम जी के विवाहोत्सव में महाराज जनक ने अपनी पुत्री जानकी को लाखों गायों का दान दिया था। पुरातन भारत में जब किसी को दान-दक्षिणा या बेटी को दहेज दिया जाता था, तो इसमें गोदान ही सर्वोपरि था। भारत में हमारी भारतीय नस्ल की गायों के दूध व दही की नदियां बहा करती थीं। गाय को माता का दर्जा प्राप्त था, क्योंकि वह अपने दूध, दही आदि पंचगव्य पदार्थो से हमारा भरण-पोषण करती थी। गाय के मूत्र में अनेक अच्छे तत्व पाए जाते हैं, जिनकी गुणवता देखकर वैज्ञानिकों ने इसे स्वास्थ्य रसायन का नाम दिया। आज वैज्ञानिक सिद्ध कर चुके हैं कि गाय के मूत्र से लगभग 400 बीमारियां ठीक होती हैं। टीबी, कैंसर जैसे भयानक रोगों में तो गो मूत्र रामबाण औषधि है। गाय के गोबर का लेपन पुरातन काल में रसोई घर और ऋषि-मुनियों द्वारा आश्रमों व हवन कुंड के इर्द-गिर्द किया जाता था, क्योंकि गोबर कीटाणुनाशक होता है। कथा में श्री सीता-राम के विवाह ने समय बांध लिया। साध्वी बहनों ने संगीतमय भजनों के माध्यम से उपस्थित जन समूह को आनन्द विभोर किया। कथा श्रद्धालुगणों के उत्साह को देखकर ऐसा लग रहा था जैसे सभी बाराती बन कर जनकपुरी में पहुंच गए हों। कथा का समापन विधिवत आरती से किया जिसमें सुशील, परुषोत्तम, सतीश, महेश, शंकर, मोनिका, पूनम, विनोद व स्नेही मंदिर कमेटी के सदस्य शामिल रहे।

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लोग वर्तमान में भूल गए हैं गाय का सम्मान

त्रासदी का विषय तो यह है कि आज हम अपनी माता का सम्मान करना ही भूल गए हैं। खेतों में गाय के गोबर की खाद का स्थान अब अनेक रसायनों ने लिया है। कहां गाय के दूध-दही की नदियां बहा करती थी, आज भारतीय देसी गाय कत्लखानों में कट रही है। भारतीय नस्ल की गायों की गिनती देश में कम होती चली जा रही है। देश के लोगों को समय रहते अपनी गाय माता के संरक्षण के लिए आगे आना होगा।

संस्थान ने गाय संरक्षण के लिए उठाए हैं कई कदम

दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान ने गाय संरक्षण व संवर्धन के लिए ठोस कदम उठाया है। संस्थान के कामधेनु प्रकल्प के तहत अनेक गोशालाओं का निर्माण किया गया। इन गौशालाओं में भारतीय नस्ल की साहीवाल, थारपारकर, गीर, कांकरेज, राठी, कपिला आदि गायों की नस्ल को संरक्षण किया जा रहा है। आज वैज्ञानिकों व रिसर्च टीमों के लिए ये गोशालाएं रिसर्च सेंटर बन चुकी हैं। दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान मानव समाज को आह्नान करता है कि वह गौ संरक्षण के लिए जाग्रत हों।


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