वासनाएं, कुविचार और द्वेष सद्मार्ग से हटाने का करते हैं प्रयास
फोटो नं. 3 गोमती नाथ मंदिर में दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान ने करवाया धार्मिक कार्यक्रम स्वामी उमेशा नंद ने दिए प्रवचन
जेएनएन, नवांशहर : गोमती नाथ मंदिर में दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान ने रविवार को धार्मिक कार्यक्रम करवाया। स्वामी उमेशा नंद ने प्रवचन देकर प्रभु प्रेमियों को भक्ति के रंग में रंगा। उन्होंने कहा कि मानव का जीवन एक संघर्ष का क्षेत्र है जिसमें वासनाएं, कुविचार, राग-द्वेष आदि हमारे परम शत्रु हैं। हमें सद्मार्ग से हटाने का प्रयास करते रहते है। एक सच्चा जीवन जीने के लिए हमें इनके साथ युद्ध करना होता है जिस प्रकार एक योद्धा जब युद्ध के मैदान में जाता है तो हमेशा अपने अस्त्र-शस्त्र तैयार करके ही जाता है। हमारे अन्त: करण में ईश्वर के प्रति वैराग्य और प्रेम के भाव होंगे। क्योंकि यदि हमारे मन में प्रभु के लिए वैराग्य नहीं है तो हम विषय वासनाओं में ही अपने जीवन का निर्वाह करते रहते है और परमात्मा की ओर बढ़ ही नहीं पाते। स्वामी ने बताया कि प्रश्न यही पैदा होता है कि प्रभु के प्रति हमारे भीतर वैराग्य उत्पन्न कैसे हो? क्योंकि आज मानव अपने जीवन को संसारिक दौड ही लगा रहा है, जिसमें उसे अपने आप का भी भान नही है। ईश्वर के प्रति श्रद्धा, प्रेम, त्याग, वैराग्य तो केवल तभी संभव होगा यदि हमारे जीवन में एक संत आएंगे जो स्वयं प्रभु से प्रेम एवं वैराग्य से जुडे होंगे और हमें भी प्रभु का दर्शन करवा देंगे। तभी हमारे भीतर प्रभु को पाने की चाहत बढे़गी। इसी प्रकार प्रभु का दीदार पाकर ही हमारे भीतर वैराग्य उत्पन्न हो सकता है। इस शुभ अवसर पर भारी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे।