समुद्र में नहीं डूबे नल-नील के हाथ से रखे पत्थर, मिला था वरदान
पंडित जय दयाल ट्रस्ट घास मंडी मंदिर में सोमवार रात को राम लीला मंचन के भगवान राम व लक्ष्मण ने लंका में कई राक्षसों को वध कर दिया।
जेएनएन, नवांशहर : पंडित जय दयाल ट्रस्ट घास मंडी मंदिर में सोमवार रात को राम लीला मंचन के भगवान राम व लक्ष्मण ने लंका में कई राक्षसों को वध कर दिया। सुग्रीव के कहने पर भगवान राम और लक्ष्मण व हनुमान लंका की और चल दिए। रास्ते में उनको समुद्र मिला जो सौ योजन चौड़ा था। भगवान राम ने विचार किया कि इसे किस तरह से पार किया जाए। उन्होंने समुद्र से प्रार्थना की जिसका समुद्र पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा। इसके बाद भगवान राम भगवान शंकर की स्थापना और स्तुति की, तब भी समुद्र पर कोई असर नहीं हुआ। फिर भगवान राम ने अपने धनुष पर बाण चढ़ाया और समुद्र में छोड़ना चाहा, तब समुद्र त्राहि माम त्राहि माम करके समुद्र बाहर आए। भगवान राम ने तब उनसे प्रार्थना की कि हमें लंका में प्रवेश करना है और रास्ता देने की कृपा करें। समुद्र ने भगवान राम से कहा कि नल और नील दोनों को वरदान मिला है कि उनके हाथ से समुद्र में रखे पत्थर नहीं डूबते हैं। इस कारण उन दोनों के हाथ से समुद्र में राम का नाम पत्थर लिखकर पुल बनने की तैयारी की गई। भगवान राम ने नल-नील से कहा कि हे नल-नील आप दोनों पुल का निर्माण करो। नल-नील ने कहा कि जो आज्ञा प्रभु। पुल तैयार होने के बाद वह लंका की सीमा में पहुंच गए। इसके बाद रावण ने अनेक राक्षसों को भेजा। भगवान राम ने उनको मौत के घाट उतार दिया। इसके बाद अक्षय कुमार भी भगवान राम से युद्ध करने गए, वह भी मारा गया। फिर मेघनाथ अपनी सेना के साथ युद्ध करने गए और भगवान राम और लक्ष्मण से युद्ध किया। इसमें लक्ष्मण को बाण लग गया। इसके बाद हनुमान जी संजीवनी बूटी लेने गए, तो वहां पर कालनैम राक्षस को हनुमान जी ने मार डाला। संजीवनी लाने के बाद लक्ष्मण जी की निद्रा टूटी। इसके बाद भगवान राम व लक्ष्मण गले मिले और मेघनाथ का वध लक्ष्मण ने अपने हाथों से किया।