अटल भूजल योजना में पंजाब भी हो शामिल
जिले में भूजल स्तर में सुधार करना समय की जरूरत है।
जयदेव गोगा, नवांशहर : जिले में भूजल स्तर में सुधार करना समय की जरूरत है। मुख्यमंत्री अमरिदर सिंह के बाद नवांशहर संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़ने वाले शिरोमणि अकाली दल (बादल) के पूर्व सांसद प्रेम सिंह चंदूमाजरा ने भी गुरुद्वारा श्री फतेहगढ़ साहिब में जारी जोड़ मेले में केंद्र सरकार पर यह आपत्ति जाहिर की है कि अटल भूजल योजना में सात राज्यों के साथ पंजाब का नाम भी शामिल किया जाए। जिला वासियों ने भी कहा कि केंद्र सरकार द्वारा शुरू की गई भूजल के प्रबंधन और प्रत्येक घर तक पीने का स्वच्छ पानी पहुंचाने के मकसद से शुरू की गई छह हजार करोड़ रुपये की इस योजना में पंजाब को भी शामिल किया जाए। हैड मास्टर हरमिदर सिंह ने बताया कि सरकार जल संबंधी जिन योजनाओं पर आगे बढ़ रही है, उन्हें जन कल्याण संबंधी अन्य योजनाओं की तरह नतीजे तक पहुंचाना सरकार की प्राथमिकताओं में होना चाहिए। मोदी सरकार के लिए भू जल स्तर को उठाना और जल संकट से निपटना एक बड़ी चुनौती के रूप में सामने आया है। प्रदेश के लोग आशा करते हैं कि पंजाब को भी इसमें शामिल किया जाएगा।
पंजाब में भू जल का स्तर गिरा:सर्वजीत
मास्टर सर्वजीत सिंह ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा शुरू की गई अटल भू जल योजना अभी सात राज्यों पर केंद्रित है। इसमें पंजाब प्रदेश शामिल नहीं है। जबकि प्रदेश के अधिकतर ब्लाक डार्क जोन यानी जहां भू जल बहुत ज्यादा नीचे चला गया है। इससे नवांशहर जिला भी अछूता नहीं है। सरकार को अटल भू जल योजना को जिला सहित सभी प्रदेशों में लागू करना चाहिए।
लोगों को भी होना चाहिए जागरूक:ललित कुमार
मास्टर ललित कुमार शर्मा ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा अटल भू जल योजना को पंजाब के अंदर भी शीघ्र सक्रिय किया जाना चाहिए। प्रदेश में हर साल भू जल स्तर दो से तीन फुट तक नीचे गिरता जा रहा है। जब तक इसका कोई समाधान नहीं निकलता है तब तक मानसून में बारिश का पानी तालाबों आदि में जमा किया जा सकता है। जोकि अधिक जरूरत को पूरा कर सके। आम लोगों को भी जरूरत के हिसाब से पानी का इस्तेमाल करना चाहिए। अगर अभी से सांझी कोशिश नहीं की गई तो आने वाले समय में गंभीर जल संकट खड़ा हो सकता है।
जमीनी पानी हुआ दूषित: सुरेंद्र मोहन
साइंस लैबोरेटरी के रिटायर्ड कर्मचारी सुरेंद्र मोहन ने बताया कि जमीन के अंदर का ज्यादातर पानी दूषित हो चुका है। भूमिगत जल में नाइट्रोजन और फास्फोरस की मात्रा अधिक बढ़ती जा रही है। सिर्फ 20 फीसद जल ही दूषित होने से बचा है और 80 फीसद पानी लगभग दूषित हो चुका है। प्रदूषण की मुख्य वजह सीवरेज, इंडस्ट्रियों से निकलने वाले व खेतों में इस्तेमाल होने वाले कैमिक्ल और घरों में इस्तेमाल होने वाले सिथैटिक साबुन आदि शामिल है।