मजहब के लोगों का नागरिकता संशोधन विधेयक से नहीं लेना देना, सिर्फ विदेशियों को नागरिका देना मकसद
लोकसभा और राज्यसभा में नागरिकता संशोधन विधेयक के पारित होने के बाद उस पर बहस चल रही है।
जयदेव गोगा, नवांशहर : लोकसभा और राज्यसभा में नागरिकता संशोधन विधेयक के पारित होने के बाद उस पर बहस चल रही है। आलोचक इस विधेयक को मुस्लिम विरोधी बता रहे हैं, वहीं विधेयक के समर्थकों का कहना है कि यह बिल लोगों के अधिकारों का हनन नहीं करता। देश के किसी भी मजहब के नागरिकों से इस विधेयक का कोई लेना देना नहीं है। इस विधेयक में पाकिस्तान, बंगलादेश और अफगानिस्तान से भारत आने वाले हिदू, सिख, जैन, पारसी और ईसाई समुदाय के लोगों को नागरिकता प्रदान करने का प्रावधान है। यह विधेयक सिर्फ विदेशियों की नागरिकता देने से संबंधित है।
यह तय होगा कि पाक या बंगलादेश के किन लोगों को नागरिकता दी जा सकती है : सतपाल
प्रिसिपल सतपाल उम्मट ने बताया कि नागरिकता संशोधन विधेयक को लेकर बहस छिड़ी है कि यह बिल समानता अधिकारों का हनन करता है। देश के कुछ बुद्धिजीवी भी इसे अधिकारों का हनन मानते हैं। असल में इस विधेयक के जरिये भारत यह तय करने जा रहा है कि वह पाकिस्तान, बंगलादेश और अफगानिस्तान के किन लोगों को नागरिकता प्रदान कर सकती है।
दुनिया भर के लोगों को नागरिकता प्रदान करने के लिए नहीं यह बिल : चोपड़ा
मास्टर सुरिदर मोहन चोपड़ा ने कहा कि यह विधेयक दुनिया भर के लोगों को नागरिकता प्रदान करने के लिए नहीं है और न ही इसका वर्तमान में भारत के अंदर रह रहे नागरिकों से कोई लेना देना है। आज अमेरिकी प्रशासन तक अपने हिसाब से यह तय कर रहा है कि उन्हें किन देशों के नागरिक स्वीकार हैं या नहीं। उसके ऐसे कई फैसलों को वहां की अदालतों ने सही ठहराया है।
मुस्लिम समुदाय के किसी व्यक्ति को नहीं आएगी दिक्कत : हरबंस
रिटायर्ड अध्यापक हरबंस सिंह ने बताया कि नागरिकता संशोधन विधेयक के कानून का रूप लेन के बाद भारतीय मुसलमानों को किसी भी प्रकार की कोई मुश्किल आने वाली नहीं है। यह विधेयक भारत में रहने वाले किसी भी व्यक्ति की नागरिकता में हस्तक्षेप नहीं करता है। इस विधेयक में बाहर से प्रताड़ित होकर आए अल्पसंख्यकों को नागरिकता देने का प्रावधान है न कि किसी भारतीय की नागरिकता छीनने का।
विधेयक के खिलाफ माहौल बनाना उचित नहीं : बलग्गन
व्यवसायी अश्वनी बलग्गन ने कहा कि यह विधेयक भारतीय मुसलमानों का विरोधी विधेयक नहीं है। पाकिस्तान, बंगलादेश व अफगानिस्तान के मुसलमानों सहित श्रीलंका के तमिल हिदुओं को भी रियायत नहीं दी जा रही हैं। जिस विधेयक का देश के किसी भी मजहब के नागरिकों से कोई लेना देना नहीं है, उसे लेकर यह माहौल बनाना ठीक नहीं कि वह भारतीय मुसलमानों के हित में नहीं है।े