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सरकारी स्कूलों को दानियों की मदद से बनाया जा रहा स्मार्ट

जिले के सरकारी स्कूलों कायाकल्प जनभागीदारी से हो रहा है। इस मामले जिला एक मॉडल के रूप में उभरा है। स्कूलों के कायाकल्प में एनआरआई और स्थानीय लोगों ने सहयोग दिया है जिससे स्कूलों की ईमारतें प्राइवेट स्कूलों को टक्कर देने लगी हैं। जिले में सेल्फ मेड स्मार्ट स्कूल नाम से शुरू किए गए इस प्रोजेक्ट ने जिले के स्कूलों की स्थिति बदल दी है। अब तक 50 सरकारी प्राथमिक विद्यालय और 16 सीनियर सेकेंडरी स्कूल इस कायाकल्प अभियान का हिस्सा बने हैं। कुछ दिनों पहले शिक्षा सचिव कृष्ण कुमार की उपस्थिति में जिले के 10 स्कूलों को एलईडी और टैबलेट स्कूलों को स्मार्ट स्कूल में बदलने के लिए एनआरआईज की ओर से दिया गया था।

By JagranEdited By: Published: Fri, 22 Feb 2019 10:48 PM (IST)Updated: Fri, 22 Feb 2019 10:48 PM (IST)
सरकारी स्कूलों को दानियों की मदद से बनाया जा रहा स्मार्ट
सरकारी स्कूलों को दानियों की मदद से बनाया जा रहा स्मार्ट

जासं, नवांशहर: जिले के सरकारी स्कूलों का कायाकल्प जन भागीदारी से हो रहा है। इस मामले में जिला एक मॉडल के रूप में उभरा है। स्कूलों के कायाकल्प में एनआरआइ और स्थानीय लोगों ने सहयोग दिया है। इससे स्कूलों की ईमारतें प्राइवेट स्कूलों को टक्कर देने लगी हैं। जिले में 'सेल्फ मेड स्मार्ट स्कूल ' नाम से शुरू किए गए इस प्रोजेक्ट ने जिले के स्कूलों की स्थिति बदल दी है। अब तक 50 सरकारी प्राथमिक विद्यालय और 16 सीनियर सेकेंडरी स्कूल इस कायाकल्प अभियान का हिस्सा बने हैं। स्कूलों को स्मार्ट स्कूल में बदलने के लिए कुछ दिनों पहले, शिक्षा सचिव कृष्ण कुमार की उपस्थिति में जिले के 10 स्कूलों को एलईडी और टैबलेट एनआरआइज ने दिया था।

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प्रोजेक्ट के सहायक को-ऑर्डिनेटर व सरकारी प्राइमरी स्कूल के अध्यापक र¨वदर कुमार ने कहा कि शिक्षा सचिव ने इन विद्यालयों के शिक्षकों को लगभग 6 महीने पहले निर्देश दिया था। इसके बाद अपने-अपने क्षेत्रों से स्कूलों की मदद करने वाले लोगों, एनआरआइ और स्वयंसेवी संगठनों से संपर्क करना शुरू कर दिया था। इस जन सहभागिता अभियान का परिणाम इतना सकारात्मक था कि आज 32 सरकारी प्राथमिक स्कूलों को स्मार्ट स्कूल के रूप में बदलने का काम पूरा कर लिया गया है और 25 स्कूलों को स्मार्ट बनाने का काम तेजी से चल रहा है। इसके अलावा लोगों की सहायता से स्कूलों में ग्रीन बोर्ड, रंग रोगन, छात्रों की वर्दी और जूते उपलब्ध करवाए गए हैं।

र¨वदर के मुताबिक अपने गांव के स्कूलों को बदलने में लोग बढ़चढ़ कर आगे आ रहे हैं। लोगों को अपने इलाके के स्कूलों को बेहतर बनाने की इच्छा इतनी तेज है कि उनसे जब संपर्क साधा जाता है तो वे तुरंत काम शुरू करने के लिए कहते हैं। इन दान देने वालों, एनआरआइ और एनजीओ की मदद से जिले के 44 सरकारी प्राथमिक स्कूलों में प्रोजेक्टर लग चुके हैं, जबकि 23 स्कूल उन्हें एलईडी लगाई जा चुकी हैं, जिस पर ई-कंटेंट (इलेक्ट्रॉनिक पाठ्यक्रम) छात्रों को दिलचस्प तरीके से पढ़ाया जाने लगा है।

शिक्षा में हुआ सुधार: चोपड़ा

जिला शिक्षा अधिकारी (एलिमेंट्री) कोमल चोपड़ा ने कहा कि सरकारी प्राथमिक विद्यालयों में प्रोजेक्टर और एलईडी लगने से स्कूलों की शिक्षा की गुणवत्ता में उल्लेखनीय सुधार हुआ है। छात्र पुस्तकों के बजाय स्क्रीन पर दिखाए गए इलेक्ट्रॉनिक सामग्री में अधिक रुचि दिखा रहे हैं और उन्होंने ग्रहण को अच्छी तरह से प्राप्त करना शुरू कर दिया है। सरकारी स्कूलों के प्रति लोगों में होता है जज्बाती जुड़ाव : डीसी

डीसी विनय बबलानी ने कहा कि एनआरआइ व गांव के दानी लोगों का अपने क्षेत्र के सरकारी स्कूलों से जज्बाती जुड़ाव होता है। इसी कारण स्कूलों का कायाकल्प किया जा रहा है। वे जिला शिक्षा कमेटियों की बैठक के दौरान सीएसआर, एनआरआइ व एनजीओ से तालमेल करने की हिदायत देते हैं रहे हैं। उन्होंने कहा कि जिला में सरकारी स्कूलों की सुधारना अच्छे संकेत है। इससे जिला इस क्षेत्र में मॉडल के तौर पर ऊभरा है। उन्हें उम्मीद है कि इस तरह के प्रयास जिले के शेष प्राथमिक स्कूलों की जरूरतों को पूरा करने में भी उपयोगी होंगे।


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