एकता के सूत्रधार से पंडित नेहरू
संवाद सूत्र, नवांशहर पूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू का जन्म दिन बड़े हर्षोल्लास के साथ
संवाद सूत्र, नवांशहर
पूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू का जन्म दिन बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। आजादी के बाद भारत को लोकतांत्रिक देश के रूप में विकसित करने में नेहरू की अहम भूमिका रही है। वह सबके सांझे नेता रहे। देश के वैज्ञानिक और औद्योगिक उत्कर्ष में नेहरू का योगदान याद करने लायक है। जबकि ¨हदुस्तान की प्राचीन परंपराओं पर भी उनका विश्वास बचपन से ही बना हुआ था। उनके धार्मिक संस्कारों के बारे में भास्कर पाठक ने बताया कि पंडित जवाहर लाल नेहरू ने मेरी कहानी नामक पुस्तक में लिखा है कि ¨हदू पुराणों और रामायण-महाभारत की कथाओं में सुना करता था। मेरी मां और चाचियां यह सुनाया करती थी। मेरी एक चाची पंडित नंदलाल की विधवा पत्नी, पुराने ¨हदू ग्रंथ की बहुत जानकारी रखती थी। उनके पास तो उन कहानियों का मानो खजाना ही भरा था। इस कारण ¨हदू पौराणिक कथाओं और गाथाओं की मुझे बहुत अधिक जानकारी हो चुकी थी। नेहरू का जन्म दिन बाल दिवस के रूप में भी मनाया जाता है। पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने 14 नवंबर 1963 को बाल दिवस पर नेहरू को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा था कि पंडित नेहरू स्वभाव से ही कोमल हृदय के व्यक्ति थे। वह किसी का दुख सहन नहीं कर सकते थे। दूसरे लोगों की खराब दशा देखकर उनका दिल बड़ी जल्दी पिघल जाता था। कोई भी दुख की बात करें के उसकी सहायता करते थे। बात चाहे ठीक हो या गलत इसका उनको कोई मतलब नहीं था। सेवा निवृत्त वोकेशनल अध्यापक केके उम्मट ने बताया कि देश की बागडोर संभालते ही नेहरू के सामने अनेक समस्याएं आ खड़ी हुई। सबसे बड़ी कठिनाई यह थी कि ¨हदू और मुसलमान आपस में लड़ने लगे थे। लाखों की संख्या में लोग इधर से उधर और उधर से इधर गए और आए। बेकसूर आदमी, महिलाओं और बच्चे घरों से बेघर हो गए। मार काट भी बहुत हुई। इतनी बड़ी तादाद में लोगों को बसाने का काम आसान नहीं था, फिर भी नेहरू ने बड़ी धीरज और साहस से काम लिया। भारत के प्रधानमंत्री बनते ही नेहरू ने प्रजातंत्र पर जोर दिया। वह कहते थे कि भारत ¨हदुओं, मुसलमानों, ईसाइयों, जैनियों, सिक्खों व पारसियों आदि सबका घर है। सभी जातियों के लोग मिलजुल कर रहें। तभी देश जल्दी तरक्की कर सकता है। देश के अंदर शांति बनाए रखने पर खास जोर दिया। प्रधानमंत्री के नाते उन्होंने इन बातं पर अच्छी तरह से अमल भी किया। गांधी के बताए हुए प्रेम और अ¨हसा के संदेश को नेहरू ने सारे संसार में फैलाया। धर्म और विज्ञान के संबंध में अपने विचार प्रकट करते हुए पंडित जवाहर लाल नेहरू ने कहा था, कि उस धर्म में मेरे मन में कोई ¨खचाव नहीं रहा, जिसमें अंध विश्वास और जादू भरी करामातों पर यकीन प्रकट करना जरूरी हो। परन्तु मैं मानता हूं कि धर्म भी विज्ञान के क्षेत्र का विस्तार मात्र है। हालांकि यह भी मानता हूं कि विज्ञान और धर्म दोनों के दायरे अलग-अलग हैं। विज्ञापन ने यकीनन बड़े-बड़े तीर मारे हैं, परन्तु हमारे चारों तरफ एक विस्तृत अनजाना प्रदेश है और उस प्रदेश के संबंध में विज्ञान की जानकारी बहुत थोड़ी है, वह क्षेत्र धर्म का है।