तेज रफ्तार वाहन और हाइवे पर लगे कट बन रहे हैं हादसों का कारण
रोपड़ नेशनल हाइवे पर तेज गति से आ रहे वाहन व हाइवे पर बने कटों से गलत साइड से आते वाहन दुर्घटना का कारण बन रहे है
सुशील पांडे, नवांशहर
रोपड़ नेशनल हाइवे पर तेज गति से आ रहे वाहन व हाइवे पर बने कटों से गलत साइड से आते वाहन दुर्घटना का कारण बन रहे हैं। पिछले एक वर्ष में 65 से ज्यादा लोगों की मौत इन दुर्घटनाओं में हो चुकी है।
प्रशासन व हाइवे अथारिटी मुकदर्शक बने हुए हैं। जहां तक की जिला पुलिस के पास तेज स्पीड को मापने वाला यंत्र भी नही है। न ही हाइवे पर पुलिस की ओर से तेज गति से जा रहे वाहनों की स्पीड को कंट्रोल करने के लिए कोई योजना ही नही है और न ही तेज स्पीड के चालान ही किए जाते हैं।
जिले में हर साल होने वाली दुर्घटनाओं में कई कीमती जानें चली जाती हैं तो कई लोग विकलांग हो जाते हैं। हर वर्ष सर्दियों के मौसम में दुर्घटना होने का ग्राफ बढ़ जाता है पर कभी भी सर्दियों से पहले इन दुर्घटनाओं के रोकने के इंतजाम नही किए जाते हैं। सबसे अधिक जानें तेज रफ्तारी से होती है। हाइवे पर कार चालक 120 किमी प्रति घंटे की स्पीड से भी तेज चलते हैं और धुंध में बिना रिफ्लेक्टर के जा रहे वाहनों के पीछे से टकरा जाते हैं।
पिछले एक वर्ष में 65 लोग मौत के मुंह में समा चुके हैं व 83 लोग जख्मी हुए हैं। इन ब्लैक स्पाटों पर दुर्घटना वाहनों की तेज रफ्तार के कारण ही होती है। कई बार सड़क के किनारें खड़े वाहने धूंध में दिख नही पाते हैं और अगर पास आकर दिखते भी हैं तो तब तक देर हो जाती है। कई जगह नही चलते ब्लिकर
हाइवे की ओर से दिए गए छोटे कटों पर न तो ब्लिकर ही लगाए गए हैं और न ही दिशा सूचक ही लगे हैं। वहीं जहां पर ब्लिकर लगे हैं वो भी कई जगहों पर बंद हो चुके हैं। अधिकारी हमेशा कहते हैं कि जल्द ही इन्हें ठीक करवा दिया जाएगा पर हालात वही पुराने वाले ही रहते हैं।
महत्वपूर्ण मोड़ों पर नही है ट्रैफिक लाइटें
नवांशहर रोपड़ हाइवे पर गढ़ी बाइपास एक महत्वपूर्ण मोड़ है। इस मोड़ से नवांशहर को जालंधर जाने वाली बसें,चंडीगढ़ से जालंधर,चंडीगढ़ से होशियारपुर व बलाचौर भीतर जाती है। पर इस मोड़ पर हाइवे अथारिटी की ओर से ट्रैफिक लाइट नही लगी हैं। कौन कब कहां मुड़ रहा है पता ही नी चलता है। ओवर स्पीड में चलते हैं वाहन
वाहन चालक सड़कों पर प्रति घंटे 100 से भी ज्यादा गति से चलते हैं। भले ही जिला पुलिस की ओर से जगह जगह स्पीड लिमिट के बोर्ड लगाए गए हैं पर लोग इन कानूनों को नहीं मानते हैं और न ही ट्रैफिक पुलिस के पास वाहनों की स्पीड लिमिट को चेक करने का कोई संसाधन ही है।