इंश्योरेंस कंपनी ने नहीं दिया हेल्थ क्लेम, पांच हजार का लगा जुर्माना
जिला उपभोक्ता फोरम ने हेल्थ इंश्योरेंस क्लेम न देने पर इंश्योरेंस कंपनी पर ब्याज के साथ भुगतान करने व पांच हजार रुपये का जुर्माना देने का फैसला सुनाया है।
जेएनएन, नवांशहर : जिला उपभोक्ता फोरम ने हेल्थ इंश्योरेंस क्लेम न देने पर इंश्योरेंस कंपनी पर ब्याज के साथ भुगतान करने व पांच हजार रुपये का जुर्माना देने का फैसला सुनाया है। कंपनी ने उपभोक्ता का बीमा तो कर लिया था, लेकिन नियमों का हवाला देकर भुगतान करने से इनकार कर दिया था। घक्केवाल निवासी हरिदयाल सिंह ने फोरम को दी गई शिकायत में कहा है कि माछीवाड़ा रोड स्थित ग्रामीण बैंक की शाखा में एक व्यक्ति ने खुद को रेलिगेयर इंश्योरेंस कंपनी का कर्मचारी बताया और हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी की जानकारी दी। उक्त व्यक्ति ने बताया कि उसकी कंपनी का बैंक के साथ उनका टाइअप है। उन्हें 2412 रुपये किश्त उसे देने ही होगी और उसे एक लाख रुपये तक की कैशलेस इलाज की सुविधा तय अस्पतालों में कंपनी द्वारा उपलब्ध करवाई जाएगी। उनकी तरफ से पांच जुलाई 2018 को बैंक के खाते से 2412 रुपये की कंपनी को ट्रांसफर हो गए। 10 जुलाई को उनके सीने में दर्द हुआ और आइवीवाइ अस्पताल में गए। उनके हार्ट की आर्टरीज ब्लॉक हो गई थी। उसका इलाज अस्पताल में हुआ है। अपने इलाज पर उन्होंने दो लाख 19 सौ 15 रुपये खर्च किए। अस्पताल ने इंश्योरेंस कंपनी से संपर्क साधा लेकिन उन्होंने पहले की बीमारियों के बारे में तीन साल का वेटिग पीरियड का बहाना बना कर भुगतान करने से इनकार कर दिया। इस प्रकार बैंक व इंश्योरेंस कंपनी ने उनके साथ धोखा किया। उन्होंने उपभोक्ता अदालत से उनके क्लेम के 1 लाख रुपये का भुगतान 18 फीसद सालाना ब्याज दर से करवाने की मांग की। इसके साथ ही दिमागी परेशानी को लेकर 50 हजार रुपये, नुकसान के लिए 20 हजार रुपये व 30 हजार रुपये लीगल फीस के रुपये मुआवजा दिलवाने की मांग की।
इंश्योरेंस कंपनी के प्रतिनिधि ने कहा कि शिकायतकर्ता पहले से ही बीमारी से पीड़ित को लेकर भुगतान करने का कोई प्रावधान नहीं है। दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के जिला उपभोक्ता फोरम के प्रधान कुलजीत सिंह की अदालत ने इंश्योरेंस कंपनी को क्लेम को सेटल कर भुगतान करने का निर्देश दिया। अदालत ने कंपनी को 1 लाख रुपये का भुगतान व 9 फीसद सालाना ब्याज दर के साथ करने व उपभोक्ता को हुई मानसिक परेशान के लिए 5 हजार रुपये का जुर्माना देने के निर्देश दिए हैं। अदालत ने कहा कि यह आदेश एक महीने के भीतर लागू कर दिए जाएं।