डेढ़ माह में स्वास्थ्य विभाग की मेडिकल नशे की रिकवरी जीरो
पुलिस की ओर से की गई सख्ती के चलते जिले के नशेड़ियों ने मेडिकल नशे की ओर रुख कर लिया है।
सुशील पांडे नवांशहर,
पुलिस की ओर से की गई सख्ती के चलते जिले के नशेड़ियों ने मेडिकल नशे की ओर रुख कर लिया है। लेकिन कुछ मेडिकल स्टोर वाले गुपचुप तरीके से नशा बेच रहे हैं। नशा बेचने के लिए अब वे लोग नए तरीके अपना रहे हैं। जिला पुलिस की ओर से जनवरी से लेकर अब तक की नशे की गई रिकवरी यह बताती है कि जिले के नशेड़ियों ने अब मेडिकल नशे का रूख कर लिया है। वहीं स्वास्थ्य विभाग की ओर से पिछले डेढ़ माह में मेडिकल नशे की जीरो रिकवरी और किसी भी मेडिकल नशे का निरीक्षण निरिक्षण न होना यह बताता है कि स्वास्थ्य विभाग क्षेत्र में से नशे को रोकने के लिए बिल्कुल भी गंभीर नहीं है। नशा बेचने के लिए कुछ मेडिकल स्टोर वालों ने ढूंढे नए तरीके
कुछ मेडिकल स्टोर वालों ने नशा बेचने के लिए नए तरीके इजाद कर लिए हैं। अब मेडिकल स्टोर वालों ने नशेड़ियों को ही अपना एजेंट बना रखा है। मेडिकल स्टोरों पर अब बाहर से नशा नहीं आता है। नशे की खेप को नशेड़ी एजेंट के घर पर ही उतारा जाता है। इसके बाद जब किसी नशेड़ी का फोन मेडिकल स्टोर वाले को आता है तो वह उसे नशेड़ी एजेंट का नंबर दे देता है। जिसके बाद तय जगह पर नशेड़ी एजेंट खरीददार नशेड़ी को नशे की सप्लाई करता है। शाम के समय स्टोर वाले की ओर से नशेड़ी एजेंट को उसका कमीशन दिया जाता है।
नशों तस्करों पर दर्ज हुए 258 मामले
जिला पुलिस की ओर से पिछले 11 माह में नशा तस्करों के खिलाफ 258 मामले दर्ज किए गए और 356 तस्करों को जेल में भेजा गया। पुलिस ने 5 किलो 426 ग्राम हेरोइन, 3 किलो 983 ग्राम अफीम, 1306 किलो 200 ग्राम चूरापोस्त, 5 किलो 136 ग्राम चरस, 8 किलो 180 ग्राम गांजा, 31 ग्राम नशीला पाउडर बरामद किया है। इस समय दौरान 9621 नशे के तौर प्रयोग होने वाले इंजेक्शन व 72 हजार 923 नशे की गोलियां व कैप्सूल बरामद किए गए हैं। यह आंकड़ा बताता है कि जिले में मेडिकल नशा कितना बढ़ जाता है। मेडिकल नशे की सारी रिकवरी पुलिस की : एसएसपी
एसएसपी अलका मीणा ने बताया कि पुलिस की ओर से पिछले 11 माह में जितना भी मेडिकल नशा बरामद किया गया है वह सारा पुलिस की रिकवरी है। इसमें स्वास्थ्य विभाग का कोई भी रोल नही है। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य विभाग की ओर से मेडिकल स्टोरों की चेकिंग में पुलिस की मदद नहीं ली जाती है पर जब पुलिस खुद किसी मेडिकल स्टोर की जांच करती है तो ड्रग इंस्पेक्टर की मदद ली जाती है।
पिछले डेढ़ माह से नही हुई रिकवरी : ड्रग इंस्पेक्टर
जिले के ड्रग इंस्पेक्टर जय जयकार सिंह ने बताया कि उन्होंने अभी हाल ही में करीब डेढ़ माह पहले ही ज्वाइन किया है। पिछले डेढ़ माह से जिले में मेडिकल नशे की कोई भी रिकवरी नहीं हुई है। उन्होंने कहा कि जल्द ही मेडिकल नशा बेचने वालों के खिलाफ रेड की जाएगी व मेडिकल नशों की रिकवरी की जाएगी। नशा बेचने वालों के खिलाफ एसो. करती है कारवाई
जिला केमिस्ट एसोसिशन के प्रधान डॉ. हरमेश पुरी का कहना है कि कोई भी केमिस्ट बिना डाक्टर की पर्ची के नारोकेटिक्स दवाईयों को नहीं बेच सकता है। यदि कोई मरीज पर्ची लेकर आता है तो पहले केमिस्ट की ओर से उस पर्ची को कंप्यूटर में स्कैन किया जाता है। उसके बाद ही दवाई दी जाती है। यदि कोई कोई मेडिकल स्टोर वाला नशा बेचता पकड़ा जाता है तो पहले उसे न बेचने के बारे में समझाया जाता है। उसके बाद उसे एसोसिएशन से निकाल दिया जाता है। उन्होंने कहा कि पुरे प्रदेश की एसोसिएशन में 30 हजार केमिस्ट है जिनमें से करीब 400 कैमिस्टों को नशा बेचने का आरोप सिद्ध् पाए जाने पर एसोसिएशन से निकाल दिया गया है।