600 रुपये लो.. कमीज, पैंट, जर्सी, जूते व जुराबें खरीदो
सरकारी स्कूल स्मार्ट तो बन रहे हैं लेकिन बच्चों को स्मार्ट बनाने की तरफ सरकार का ध्यान थोड़ा कम है।
सुशील पाडे, नवाशहर : सरकारी स्कूल स्मार्ट तो बन रहे हैं लेकिन बच्चों को स्मार्ट बनाने की तरफ सरकार का ध्यान थोड़ा कम है। बच्चों को वर्दी के लिए सरकार पैसे तो देती है लेकिन इतने जितने में उनकी एक पैंट ही आती है। ऐसे में बच्चों का स्मार्ट दिखना आर्थिक तंगी से जूझ रहे परिवार वालों को महंगा पड़ जाता है। सरकारी स्कूलों में पहली से आठवी तक के बच्चों को शिक्षा का अधिकार कानून के तहत मुफ्त वर्दी मुहैया करवाने के लिए 600 रुपये निर्धारित किए गए है। आठ साल पहले गर्मी व सर्दी सीजन की वर्दी के लिए 400 रुपये मिलते थे। इस साल इसमें 200 रुपये का इजाफा कर 600 रुपये तो कर दिया गया है लेकिन इन आठ सालों में महंगाई कई गुना बढ़ गई है। हकीकत में 600 सौ रुपये में तो आठवीं कक्षा में पढ़ने वाले विद्यार्थी की एक पैंट ही आती है। ऐसे में शर्ट, जूते जुराबें, स्वेटर किस तरह खरीदा जा सकता है। आठ सालों में नई योजनाएं आई लेकिन वर्दी पर नहीं हुआ मंथन
इन आठ सालों में स्कूलों में बदलाव की कई योजनाएं बनाई है। लेकीन वर्दी को लेकर राशि के लिए कोई मंथन नहीं किया जा रहा है।बच्चों के परिजनों का कहना है कि आज की महंगाई को देखते हुए एक बच्चे को वर्दी में निर्धारित सभी चीजें उपलब्ध करवाने के लिए 600 रुपये की राशि बेहद कम है। छोटे बच्चों की वर्दी के लिए चाहे 600 रुपये पूरे पड़ जाते हों लेकिन बड़े बच्चे परेशानी से जूझते हैं जबकि मुफ्त स्टेशनारी के लिए मिडिल विंग के छठी से आठवी तक के छात्रों को तीस से पचास रुपये अधिक दिए जाते हैं। स्कूल प्रबंधन समिति को इस राशि से बच्चों को एक पैंट ,एक शर्ट, जूते, जुराब व जर्सी देनी होती है। एक छात्रा को सलवार, सूट, दुपट्टा, मोजे जूते व जर्सी देनी होती है। कानून के मुताबिक बच्चों को वर्दी के ये सभी आइटम निशुल्क देना अनिवार्य है।
थोक में सामान मिलता है सस्ता
जिला शिक्षा अधिकारी हरचरण सिंह का कहना है कि सरकार की ओर से इस बार 400 से बढ़ा कर 600 रुपये कर दिया गया है। विभाग की ओर से सारा समान इकट्ठा खरीदा जाता है जिससे सामान थोड़ा सस्ता मिल जाता है। उन्होंने कहा कि इसके लिए थोड़ी सी एडस्टमेंट करनी पड़ता है। सरकार को राशि में ओर इजाफा करना चाहिए। इस बार वर्दियों के लिए आए एक करोड़ 47 लाख 462 रूपये
इस बार पहली कक्षा से लेकर आठवीं कक्षा तक के 24577 विद्यार्थियों के लिए एक करोड़ 47 लाख 462 रुपये वर्दी के लिए आए हैं जिसमें से 14934 छात्राएं व 1243 छात्र शामिल हैं। पंजाब सरकार की ओर से यह पैसा सितंबर माह के आखिर में भेजा गया है जबकि स्कूल अप्रैल माह में सरकारी स्कूलों की कक्षाएं शुरू हो जाती है।
पहली बार 400 से बढ़कर हुए 600 रूपये
प्रदेश सरकार की ओर से पछले करीब आठ वषरें से प्रत्येक विधार्थी को वर्दी के लिए 400 रुपये आते थे अब इस बार पहली बार प्रत्येक विद्यार्थी 600 रुपये आए हैं। फुल वर्दी में एक फुल पैंट,एक पूरी बाहों की कमीज,एक जोड़ा जूतों का, एक जोड़ा जुराब व एक जर्सी शामिल हैं। इसके साथ ही इसमें दर्जी द्वारा पैंट कमीज की सिलाई के लिए कम से कम 300 रुपये लिए जाते हैं। बाजार की बात करें तो एक हलकी जर्सी की कीमत 200 रुपये, एक शूज की कीमत 200 रुपये है। इसके अलावा पैंट का कपड़ा कम से कम 150 रुपये व कमीज का कपड़ा कम से कम 100 रुपये में आता है। यह सारा सामान पहली व दूसरी कक्षा के विद्यार्थियों की लिए है। अगर छोटे बच्चों का ही बजट जोड़ लें तो यह 950 रुपये बनता है अगर बात आठवीं कक्षा में पढ़ने वाले छात्र व छात्राओं की करें तो यह लगभग 1500 रुपये हो जाता है।