नौ दिन की हड़ताल के बाद सरकारी दफ्तरों में शुरू हुई चहल पहल
पंजाब मिनिस्ट्रियल कर्मचारियों की नौ दिनों की हड़ताल के बाद शुक्रवार को फिर से सरकारी दफ्तरों में चहल-पहल नजर आने लगी। नौ दिन तक तो कर्मचारी यो यहां आते थे लेकिन वह काम नहीं करते थे। उन्होंने कलम छोड़ हड़ताल कर रखी थी। आज कार्यालय में काम शुरु हो गया। हड़ताल खत्म हो के बाद लोग काम करवाने के लिए सरकारी दफ्तरों में पहुंचे। लेकिन लोगों को हड़ताल खत्म होने के बारे में लोगों को अभी जानकारी नहीं होने के कारण आज ज्यादा संख्या में लोग नहीं पहुचे। आम दिनों से आज लोगों की उपस्थिति सेवा केंद्रों में कम रही। इक्का दुक्का लोग ही थे।
वासदेव परदेसी, नवांशहर: पंजाब मिनिस्ट्रियल कर्मचारियों की नौ दिनों की हड़ताल के बाद शुक्रवार को फिर से सरकारी दफ्तरों में चहल-पहल नजर आने लगी। इस दौरान कर्मचारी यहां आते थे, लेकिन वह काम नहीं करते थे। उन्होंने कलम छोड़ हड़ताल कर रखी थी। शुक्रवार को कार्यालय में काम शुरू हो गया। हड़ताल खत्म हो के बाद लोग काम करवाने के लिए सरकारी दफ्तरों में पहुंचे। लेकिन हड़ताल खत्म होने के बारे में जानकारी न होने के कारण ज्यादा संख्या में लोग नहीं पहुचे। जिला प्रबंधकीय कांप्लेक्स में काम करवाने पहुंचे आनंद कुमार मान ने बताया कि उन्हें अपने बच्चे के सर्टिफिकेट संबंधी काम करवाना था। वह पहले भी आ चुके हैं, लेकिन हड़ताल के कारण काम नहीं हो पाया था।
गुरमीत ¨सह ने बताया कि सरकार को कर्मचारियों की मांगों की तरफ ध्यान देना चाहिए। इनके हड़ताल पर जाने से लोगों को मुश्किल का सामना करना पड़ता है और परेशानी झेलनी पड़ती है। क्योंकि सभी सरकारी काम रुक जाते हैं। लोग दूर-दूर से काम करवाने के लिए आते हैं, लेकिन हड़ताल होने के कारण उन्हें वापस लौटना पड़ता है। हड़ताल से होती है परेशानी
अशोक कुमार ने बताया कि उन्हें नीला कार्ड बनवाना था। हड़ताल के कारण उनका भी काम नहीं हो रहा था। अब उन्होंने इस संबंधी कागजात एसडीएम कार्यालय में जमा करवा दिए हैं। उन्होंने कहा कि सरकार को ऐसी व्यवस्था बनानी चाहिए कि लोगों को किसी तरह की परेशानी न आए। मांगे नहीं मानी तो फिर शुरु होगा संघर्ष
पंजाब स्टेट मिनिस्ट्रियल सर्विस यूनियन जिला प्रधान राम लाल ने बताया कि पंजाब सरकार की और से मुलाजिम जत्थेबंदी की बैठक वीरवार को बुलाई गई थी। इस दौरान वित्त मंत्री मनप्रीत ¨सह बादल और कैबिनेट मंत्री हरचरणजीत ¨सह चन्नी शामिल थे। बैठक में उनकी मांगों का मानने का भरोसा दिया गया। वहीं दूसरी तरफ उनका कहना है कि अगर मांगे नहीं मानी गई तो फिर से 27 फरवरी से यूनियन की और से संघर्ष का बिगुल बजा दिया जाएगा।