परिवार करता रहा इंतजार, शहीदों को नमन करने न कोई नेता पहुंचे न अधिकारी
शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर वर्ष मेले वतन पर मरने वालों का ही बाकी निशान होगा। यह गाना हमेशा शहीदों की याद को ताजा करता रहता है। 21 अक्तूबर को शहीदों का दिवस पंजाब भर में मनाया जा रहा है।
सतीश शर्मा, काठगढ़ : शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर वर्ष मेले, वतन पर मरने वालों का ही बाकी निशान होगा। यह गाना हमेशा शहीदों की याद को ताजा करता रहता है। 21 अक्तूबर को शहीदों का दिवस पंजाब भर में मनाया जा रहा है। काठगढ़ में 1971 की भारत-पाकिस्तान जंग में दो शहीद हुए नौजवान जिनको याद उनके परिवार ने ही किया है। परन्तु सरकार का कोई भी अधिकारी इन दोनों शहीदों को नमन करने नहीं आया।
चार दिसंबर 1971 को यह दो चिराग हमेशा के लिए बुझ गए। काठगढ़ क्षेत्र में शोक समाचार से अंधेरा छा गया। शहीदों के साथ सरकार हर वर्ष मजाक करके चली जाती है। शहीद सोहन लाल व कस्तूरी लाल दो नौजवान बीएसएफ में तैनात थे। हुसैनी बार्डर पर जब वह दुश्मन से मुकाबला कर रहे थे तो उस पुल को तोड़ दिया गया, यह दोनों नौजवान पुल के पार रह गए, वापस नहीं लौट पाए। उनको श्रद्धासुमन भेंट करने पहले-पहले विभाग के अधिकारी आते थे, फिर एक इंस्पेक्टर, दो सिपाही आते रहे, पिछले वर्ष अकेला ही सिपाही श्रद्धांजलि देने पहुंचे। इस बार कोई भी नहीं पहुंचा। घर वाले इंतजार करते रहे, आखिर परिवार के सदस्य तथा गांव के पूर्व सरपंच तथा नंबरदार को बुलाया गया और परिवार को सहानुभूति देते हुए डीएवी सीनियर सेकेंडरी स्कूल में उनका पत्थर लगाया गया था, वहां पर फूल मालाएं डालकर शहीदों को प्रमाण किया गया। इस अवसर परर जोगिदर पाल दत्त, सरपंच गुरनाम सिंह चाहल, स्कूल प्रिसीपल नरेंद्र शर्मा, शहीद का भाई अवतार तारी, दूसरे शहीद का भाई अश्वनी कुमार, नंबरदार अवतार बाजवा, साईं कुलदीप काला, जीओजी बलराम सिंह, सुरिदर छिदी, फौजी ज्ञान चंद आदि उपस्थित थे। शहीदों के नाम पर सड़क का नाम गायब
शहीदों की याद को ताजा करते हुए इनका वोट बैंक बढ़ाने के लिए शहीद कुस्तूरी लाल सोहन लाल सड़क का नाम रखा गया, उसको भी गायब कर दिया गया। सुविधा सेंटर से भी नाम गायब
अकाली-भाजपा सरकार के समय उस समय के डीसी कृष्ण कुमार ने इन दोनों ही शहीदों के नाम पर सुविधा सेंटर खोल कर उनकी फोटो वहां पर लगा दी थी, परन्तु बाद की सरकार ने उसको भी गायब कर दिया। गांव में गेट बनाने की घोषण
पंजाब की कैप्टन सरकार के कार्यकाल में जब चुनाव हुए तो उनके मोहल्ले की अलग पंचायत काठगढ़ खुर्द नाम रखा कर बनाई गई, उसका गेट इन दोनों शहीदों के नाम पर रखने की घोषणा की गई, परन्तु सरकार साढ़े तीन साल पूरे करने जा रही है, परन्तु गेट अभी तक नहीं बन पाया है। न परिवार के किसी सदस्य को नौकरी न कोई सहायता दी: पूर्व सरपंच
पूर्व सरपंच जोगिदर पाल दत्त जिनको दो बार सरपंच का सम्मान प्राप्त हुआ, उनका कहना है कि इन लोगों के साथ सरकार मजाक कर रही है, न परिवार के किसी सदस्य को नौकरी, न किसी को कोई सहायता दी। परिवार कठिनाइयों का सामना कर रहा है। किसी ने लिफाफेबाजी के सिवाए कुछ नहीं किया है।