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संसारी मोह के लिए अहंकारी बन रहा इंसान

दिव्य ज्योति जागृति संस्थान की ओर से गांव पुन्नू मजारा में तीन दिवसीय कीर्तन दरबार के दूसरे दिन भाई र¨वदर ¨सह ने प्रवचन किए। उन्होंने कहा कि आज का मानव अध्यात्मवाद को छोड़ कर पदार्थवाद की तरफ जा रहा है। वह इस संसार को सत्य समझ बैठा है। इस संसार को पाने के लिए दिन-रात स्वपन देखता है। जिसके चलते इंसान में अहंकार, धोखा, बेइमानी आदि जैसी और कई प्रकार की कुरीतियां भी जन्म लेती है। इसके कारण इंसान के जो गुण है वह अवगुणों में तबदील हो जाते हैं।

By JagranEdited By: Published: Thu, 01 Nov 2018 10:36 PM (IST)Updated: Thu, 01 Nov 2018 10:36 PM (IST)
संसारी मोह के लिए अहंकारी बन रहा इंसान
संसारी मोह के लिए अहंकारी बन रहा इंसान

संवाद सूत्र, नवांशहर : दिव्य ज्योति जागृति संस्थान की ओर से गांव पुन्नू मजारा में तीन दिवसीय कीर्तन दरबार के दूसरे दिन भाई र¨वदर ¨सह ने प्रवचन किए। उन्होंने कहा कि आज का मानव अध्यात्मवाद को छोड़ कर पदार्थवाद की तरफ जा रहा है। वह इस संसार को सत्य समझ बैठा है। इस संसार को पाने के लिए दिन-रात स्वपन देखता है। जिसके चलते इंसान में अहंकार, धोखा, बेइमानी आदि जैसी और कई प्रकार की कुरीतियां भी जन्म लेती है। इसके कारण इंसान के जो गुण है वह अवगुणों में तबदील हो जाते हैं। अवगुण आने से उसके गुण आलोप हो जाते हैं। ऐसे हालातों में जो मानव समाज का रक्षक होता है वह भक्षक बन जाता है। समाज में न्याय मिलने की जगह पर अन्याय, रिश्वतखोरी, भ्रष्टाचार, पापाचार का बोलबाला हो जाता है।

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धन दौलत की वजह से टूट रहे रिश्ते

मानव का कर्म पदार्थवादी होने के कारण रिश्तों में गिरावट आ रही है। संसार के रस पदार्थों और धन दौलत को इंसान तरजीह दे रहा है। जिसके कारण इंसानी कदरें कीमतें गिरावट की तरफ जाने लगती है और मानव के चरित्र का पतन होने लगता है। ऐसे हालातों का एक कारण नशा भी है। जो आज के समय नौजवान पीढ़ी को खा रहा है। नशे में फंस कर इंसान को पता नहीं चलता कि वह क्या करें और क्या न करें।

अध्यात्म से दूर होने पर नशा कर रहा नाश

आज इंसान नशे में क्या-क्या कर जाता है इसके गवाह समाचार पत्र है। जिसमें पिता द्वारा पुत्र का, पुत्र द्वारा पिता का, मां, बहन का कत्ल आदि जैसे समाचार पढ़ने को मिलते है। इन सब का कारण नशा ही है जो इंसान की बुद्धि को मंदबुद्धि बना देता है। ऐसी दल-दल में गिरने का कारण इंसान का अध्यात्म से दूर होना भी है। जब भी इंसान अपने मूल को भूल कर संसार को पकड़ता है, तो ही ऐसे हालातों का जन्म होता है। ऐसे हालातों में वह प्रभु इंसान पर दया कर किसी न किसी महापुरुष के रूप इस धरा पर अवतार लेकर आता है।

महापुरुषों के मार्गदर्शन से अवगुण गुणों में बदलते

मानव के मार्गदर्शन के लिए, इंसान के गिरते चरित्र को ऊंचा उठाने के लिए, नशे रूपी दल-दल में से निकालने के लिए ही महापुरुषों का जन्म होता है। क्योंकि महापुरूष इंसान को पदार्थवाद से अध्यात्मवाद की तरफ लेकर जाते है। जिससे इंसान के अवगुण गुणों में बदल जाते हैं। इंसान बुरे कामों को छोड़ कर अच्छाई की ओर अग्रसर होने लगता है और एक अच्छे समाज का निर्माण करता है। इस अवसर पर भाई हरिचरण ¨सह, भाई हरि ¨सह,भाई र¨वन्द्र ¨सह ने गुरवाणी शब्दों का गायन किया।


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