नहीं दिया क्लेम, 30 दिन में 50 हजार देने के आदेश
डिस्ट्रिक्ट कंज्यूमर डिसप्यूट रीड्रेसल फोरम ने एक्सीडेंट के बाद कार मालिक को इंश्योरेंस की रकम न देने पर यूनाइटेड इंश्योरेंस इंडिया को पचास हजार रुपये के जुर्माने के साथ-साथ 30 दिन में क्लेम का भुगतान करने व देरी के लिए 9 फीसद सालाना ब्याज देने के आदेश दिए हैं। राहों के हर¨वदर ¨सह ने फोरम में शिकायत दी थी कि दिसंबर 2014 में टाटा इंडिगो कार खरीदी थी। इसके बाद वाहन को कमर्शियल रजिस्टर्ड करवाया। टूरिस्ट व नेशनल परमिट का टैक्स भी दिया।
जासं, नवांशहर :
डिस्ट्रिक्ट कंज्यूमर डिसप्यूट रीड्रेसल फोरम ने एक्सीडेंट के बाद कार मालिक को इंश्योरेंस की रकम न देने पर यूनाइटेड इंश्योरेंस इंडिया को पचास हजार रुपये के जुर्माने के साथ-साथ 30 दिन में क्लेम का भुगतान करने व देरी के लिए 9 फीसद सालाना ब्याज देने के आदेश दिए हैं। राहों के हर¨वदर ¨सह ने फोरम में शिकायत दी थी कि दिसंबर 2014 में टाटा इंडिगो कार खरीदी थी। इसके बाद वाहन को कमर्शियल रजिस्टर्ड करवाया। टूरिस्ट व नेशनल परमिट का टैक्स भी दिया। घर में गिरने के कारण उसे काफी चोटें आई। रीढ़ की हड्डी में चोट आने के कारण ज्यादा देर तक बैठ नहीं सकता था। हालात को देखते हुए गाड़ी को चलाने के लिए सुख¨वदर ¨सह को ड्राइवर रख लिया। 30 नवंबर 2016 को हिमाचल प्रदेश के ऊना जिले में कार का एक्सीडेंट हो गया। इस संबंध में ऊना पुलिस के पास डीडीआर करवा दी गई। एक्सीडेंट के बाद ड्राइवर कार को जालंधर के कोस्मो मोटर में रिपेयर के लिए ले गया। दुर्घटना के बारे में संबंधित कंपनी के सर्वेयर को सूचित कर दिया गया। कैशलेस सुविधा के लिए सर्वेयर द्वारा केस फाइल करने के लिए सभी दस्तावेज उपलब्ध करवा दिए, फिर कोस्मो मोटर्स ने स्पष्टीकरण मांगा कि क्या सामान ढोने वाले वाहन को लाइसेंस धारक सवारी वाला वाहन चला सकता। डीटीओ जालंधर ने इसके बारे में जानकारी दे दी। छह महीने तक वाहन कोस्मो मोटर्स के पास ही रहा। इस दौरान कंपनी ने उन्हें कैशलैस रिपेयर की सुविधा नहीं दी। इसके बाद वे कार को आरके डेंटर के पास लेकर आए, जहां से कार को ठीक करवाया गया।
इंश्योरेंस कंपनी से क्लेम लेने के लिए फोरम के पास शिकायत की जिसमें 4.25 लाख का क्लेम व जब से एक्सीडेंट हुआ था तब से भुगतान होने तक 18 फीसद ब्याज, एक लाख रुपये मेंटल हरासमेंट व 40 हजार रुपये इनकम का स्त्रोत खत्म होने व केस के खर्च के रूप में 50 हजार रुपये भुगतान करवाने की मांग की। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फोरम के प्रधान कुलजीत ¨सह व सदस्य कंवलजीत ¨सह ने फैसला सुनाया है। फोरम ने इंश्योरेंस कंपनी को सर्विस ठीक से न देने का दोषी पाया। फोरम ने कंपनी को तीस दिन के भीतर शिकायतकर्ता को भुगतान करने के निर्देश दिए। इसके अलावा कंपनी को मेंटल हरासमेंट के लिए 40 हजार का जुर्माना व 10 हजार केस खर्च देने के निर्देश दिए।