सुविधाओं के अभाव में दम तोड़ रहा बलाचौर का बस स्टैंड
बस स्टैंड बलाचौर की खोखली होती जा रही शेड की दीवारों खस्ता हालत हो चुकी टीन वाली छत और टूटा-फूटा फर्श अपने आप ही विकास का ढिढोरा पीटने वाली सरकार की अनदेखी बयां करता है।
उमेश जोशी, बलाचौर : बस स्टैंड बलाचौर की खोखली होती जा रही शेड की दीवारों, खस्ता हालत हो चुकी टीन वाली छत और टूटा-फूटा फर्श अपने आप ही विकास का ढिढोरा पीटने वाली सरकार की अनदेखी बयां करता है। प्रदेश की सत्ताधारी पार्टी के हलका विधायक चौधरी दर्शन लाल मंगूपुर अपनी सरकार के तीन साल पूरे हो जाने के बाद भी इस बस स्टैंड को पूरी तरह अस्तित्व में लाकर एक अच्छे विधायक होने का एहसास नहीं करवा सके।
जब सन 1993 में इस बस स्टैंड का नींव पत्थर रखा गया था तो शहर निवासियों ने इस बात की बहुत ़खुशी मनाई थी कि उनको बसों के लिए इधर-उधर भटकना नहीं पड़ेगा। समय बीतने के बाद भी यह बस अड्डा यात्रियों के लिए समय का साथी नहीं बन सका। सिर्फ नाममात्र ही बसें अड्डे में आने और किसी भी तरह की सुविधा बस अड्डे में न होने के कारण यात्रियों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
सरकार चाहे किसी भी पार्टी की आई। बस अड्डे के विकास की तरफ किसी ने भी ध्यान नहीं दिया। हर साल मनाए जाते स्वच्छता पखवाड़े के इंतजार में बस स्टैंड के बंद शौचालयों और लगे ताले चाभी के इंतजार में ही जंग खा जाते हैं। क्योंकि यह सार्वजनिक शौचालय अक्सर बंद ही देखे जाते हैं। स्वच्छता पखवाड़े के दिनों में ही नगर कौंसिल के अधिकारियों की तरफ से इन्हें खोला जाता है।
इन सार्वजनिक शौचालयों के बंद रहने के कारण लोगों को मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। बलाचौर शहर से निकलने वाली बसों से भले ही नगर कौंसिल की तरफ से अड्डा फीस वसूली जा रही है, लेकिन बसें बस अड्डे में नहीं आतीं हैं। शहर की नगर कौंसिल और अफसरशाही भी बसों का बस स्टैंड में आना यकीनी बनाने जैसा कोई काम करके नहीं दिखा सकी है। ऐसे में रोजाना सफर करने वाली सवारियों को परेशानी का सामना करना पड़ता है।
नगर कौंसिल प्रधान नरिन्दर घई की तरफ से शहर के विकास में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी जा रही है। परन्तु बस स्टैंड की हालत शहर के सुंदरीकरण ग्रहण लगा रही है। शहर निवासियों ने मांग की कि बस स्टैंड को नया आकर्षक बनाया जाए और बसों का बस स्टैंड में सवारियों को लाना और ले जाना भी यकीनी बनाया जाए।
दुकानदारों का होता है नुकसान
इसका नुक्सान उन दुकानदारों को भी हो रहा है, जिन्होंने बस अड्डे में दुकानें किराये पर ली हुई हैं। चंडीगढ़-दिल्ली को जाने के लिए पहले सवारियों को कंगना पुल तक का सफर करना पड़ता था। अब नेशनल हाइवे पर पुल बन जाने के कारण सवारियों को और दूरी तय करके बस लेनी पड़ती है। ऐसे में बुजुर्गो और दिव्यांगों को मुश्किलें पेश आतीं हैं।