शहर के लोगों के लिए जहर से कम नहीं शुगर मिल की राख
शुगर मिल से निकलने वाली राख शहर व इलाके के लोगों के लिए जहर से कम नहीं है।
मोहम्मद शाहिद, नवांशहर : शुगर मिल से निकलने वाली राख शहर व इलाके के लोगों के लिए जहर से कम नहीं है। इससे एक तो पर्यावरण प्रदूषित को रहा है, दूसरा शहरवासियों के लिए यह परेशानियों का सबब बन रहा है। साफ सुथरा शहर होने के बाद भी पास के कई इलाकों में शुगर मिल से निकलने वाली राख से कीमती फर्श पर लगा पत्थर भी काला पड़ चुका है और धोए हुए कपड़ों को दोबारा धोने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। दशमेश नगर की अनीता रानी ने कहा, पिछले साल मिल से निकलने वाली राख के कारण उनकी आंख करीब 10 दिन तक दुखती रही और इंफेक्शन हो गया था। वह डॉक्टर के चक्कर लगाने पर मजबूर हो गई और इलाज करवाने में हजारों रुपये खर्च हुए थे। दो पहिया वाहन चालकों के लिए तो शुगर मिल की राख किसी बड़े हादसे से कम नहीं है। जब दो पहिया वाहन चालक अपने जरूरी कामों के लिए घर से निकलकर शहर आते हैं तो शुगर मिल की राख अगर उनकी आंख पर गिर जाए तो अस्पताल पहुंचने तक आराम नहीं आता। करोड़ों रुपए खर्च करने के बाद भी प्रशासन इस समस्या से लोगों को निजात नहीं दिला पाया है। हलके के कई जिम्मेदार अधिकारी व राजनेता भी इस समस्या को लेकर कई बार बड़े-बड़े बयान दे चुके हैं, लेकिन समाधान नहीं हुआ। प्रदुषण विभाग के अधिकारियों से इस पर बातचीत करने की कोशिश की गई तो बार-बार फोन करने के बाद भी उन्होंने फोन ही नहीं उठाया।
राख को नियंत्रित के लिए लगाएं यंत्र जिससे न हो नुकसान : गुरमिंदर
फतेहनगर के डॉक्टर गुरमिदर सिंह बड़वाल ने कहा कि जब शुगर मिल का उद्घाटन समारोह होता है तो प्रशासन को चाहिए कि उद्घाटन करने से पहले शुगर मिल से फैलने वाली राख को नियंत्रण में रखने के लिए कोई ऐसा यंत्र लगाएं, जिससे मिल से निकलने वाली राख से किसी भी तरह की किसी को भी कोई हानि न हो। मोहल्ले में अगर कोई गाड़ी खड़ी की हो या कपड़ा सुखाने के लिए डाला हो उस पर सुबह होते ही शुगर मिल की राख की चादर बनी होती है।
पेड़-पौधे व गाड़ियों पर जम जाती है राख की परत : प्रवीण
दशमेश नगर के प्रवीण कुमार ने कहा कि शुगर मिल के नजदीक होने के कारण मिल की राख से होने वाले प्रदूषण का असर सबसे ज्यादा हमारे ही मोहल्ले में है। कई बार तो घरों की छतों पर गार्डन में लगे पेड़ पौधे भी काफी प्रदूषित हो जाते हैं और बाहर खड़ी गाड़ियों पर भी राख की परत जम जाती है। बार-बार समस्या को लेकर प्रशासन को मांगपत्र भी दियां, लेकिन कोई हल नहीं हुआ।
हमेशा मंडराता रहता है हादसा होने का खतरा : मदन मोहन
फतेहनगर के मदन मोहन ने कहा कि शुगर मिल चलने पर शहर के लोगों बड़ी परेशानियां का सामना करना पड़ता है। इसकी राख से कई बड़े और छोटे हादसे होने का हमेशा खतरा मंडराता रहता है। मोहल्ले में खेलने वाले बच्चों की आंखों में राख पड़ने से कई बच्चे अपनी आंख के कारण कई बार छुट्टियां भी कर चुके हैं। लिहाजा प्रशासन हर साल की तरह इस साल भी इस समस्या पर मौन है।
डीसी व हलका विधायक को भी दिए मांगपत्र : कुलविंदर
दशमेश नगर के कुलविदर कौर ने कहा कि शुगर मिल की राख से कई बार छत पर फैलाए हुए कपड़े इतने गंदे हो जाते हैं कि दोबारा धोने पड़ते हैं। इसके अलावा सुबह-सुबह स्कूल जाने वाले बच्चे भी र मिल से निकलने वाली राख के कारण लेट हो जाते हैं और कई बार वे घर ही बैठने पर मजबूर हो जाते हैं। डीसी व हलका विधायक को भी मांग पत्र दिए, लेकिन सिर्फ आश्वासन ही मिले।
कई बार घायल हो चुके हैं दोपहिया वाहन चालक : मनजीत कौर
मनजीत कौर ने कहा कि जब शुगर मिल से निकलने वाली काली व सफेद राख दो पहिया वाहन चालकों के लिए काफी हानिकारक साबित हो रही है। कई बार तो हमने अपनी आंखों से देखा है कि दोपहिया चालकों की आंखों में राख गिरने से गिरने पर गंभीर घायल हो चुके हैं। उन्हें स्थानीय लोगों द्वारा अस्पताल तक भी पहुंचाया जा चुका है। उन्होंने अपील है कि शुगर मिल में कुछ ऐसा यंत्र लगाया जाए, जिससे इस समस्या से निजात मिल सके।
प्रशासन से मिलते हैं सिर्फ आश्वासन : नीलम रानी
दशमेश नगर की नीलम रानी ने कहा कि शुगर मिल चलने के बाद मोहल्ला के लोगों को कई तरह की परेशानियों से दो चार होना पड़ रहा है। यह हर साल की समस्या हैं। हर साल मिल प्रशासन व जिला प्रशासन को इसे अवगत करवाया जाता है, लेकिन समस्या नहीं सुलझी। सिर्फ आश्वासन ही मिलते हैं। मिल प्रशासन को कई बार प्रदूषण बोर्ड से चेतावनी भी मिल चुकी है।
प्रदूषण विभाग को कई बार बताया, नहीं निकाला हल : पाठक
नगर कौंसिल के अध्यक्ष ललित मोहन पाठक ने कहा कि वह कई बार प्रदुषण विभाग को समस्या से अवगत करवा चुके हैं लेकिन आज तक इसका कोई भी स्थायी हल नहीं निकला गया है। उन्होंने कहा कि वह शहरवासियों के साथ खड़े हैं। अगर प्रदुषण के कारण कोई बीमार हुआ तो इसका जिम्मेदार प्रदुषण विभाग ही होगा।