मंथरा ने भरे कैकेयी के कान
न्यू श्री राम नाटक क्लब की ओर से शनिवार को राम लीला का मंचन मंथरा-केकई संवाद के साथ शुरू हुआ।
संवाद सूत्र, गिद्दड़बाहा (श्री मुक्तसर साहिब)
न्यू श्री राम नाटक क्लब की ओर से संस्थापक गोबिन्द गुप्ता व सरपरस्त अशोक बुट्टर के नेतृत्व में रूप नगर में आयोजित श्री राम लीला दौरान बीते शनिवार को राम लीला का मंचन मंथरा-कैकेयी संवाद के साथ शुरू हुआ। दासी मंथरा, रानी कैकेयी को राम के लिए बनवास व भरत को राजगद्दी के लिए कान भर रही है जिसे दर्शकों ने खूब सराहा। कैकेयी ने श्री राम के साथ कभी कोई भेद भाव नहीं किया बल्कि यह कार्य देवताओं ने करवाया था। श्री राम ने रावण व अन्य राक्षसों का वध करने के उद्देश्य से धरती पर जन्म लिया था। यदि कैकेयी राजा दशरथ को श्री राम के वनवास के लिए न मनाती तो श्री राम अयोध्या के राजा बन जाते, जिस कारण न देवी सीता का हरण होता और न ही रावण के वध का उद्देश्य पूरा होता। इसलिए देवताओं के अनुरोध पर देवी सरस्वती कैकी दासी मंथरा की मति फेर देती हैं । जिस कारण मंथरा आकर केकई के कान भरना शुरु कर देती है कि राम अगर राजा बन गए तो कौशल्या का प्रभाव बढ़ जाएगा । इसलिए भरत को राजा बनवाने के लिए तुम्हें हठ करना चाहिए । यह सब देवी सरस्वती ही मंथरा की जुबान से बोल रही थी । इसलिए मंथरा की बातें केकई की मति को फेरने के लिए काफी थी । मंथरा की बातों में आकर कैकेयी ने खुद को कोप भवन में बंद कर लिया । जब राजा दशरथ कैकेयी को मनाने पहुंचे तो केकई ने भरत को राजा व राम को चौदह वर्ष वनवास का वचन मांग लिया व रानी कैकेयी की जिद पर दशरथ को रानी का वचन पूरा करने के लिए मजबूर होना पड़ा। मंथरा का रोल गोबिन्द गुप्ता, केकेई का रोल बलबीर चंद बीरी व दशरथ का रोल वरिन्द्र ग्रोवर ने बाखूबी निभाया।