प्रतिदिन करें गोसेवा : स्वामी कमलानंद
श्री राम भवन में चल रहे वार्षिक कार्तिक महोत्सव के तहत रविवार को धार्मिक कार्यक्रम करवाया गया।
संवाद सूत्र, श्री मुक्तसर साहिब
श्री राम भवन में चल रहे वार्षिक कार्तिक महोत्सव के तहत रविवार को गोपाष्टमी उत्सव धूमधाम व हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। प्रवचनों की अमृतवर्षा दौरान स्वामी कमलानंद गिरि ने श्रद्धालुओं को गोसेवा का महत्व बताते हुए गाय की प्रतिदिन सेवा करने की बात पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि गोहत्या महापाप है।
गोवंश की सेवा करना और उनकी रक्षा करना मनुष्य का फर्ज बनता है। इसलिए गायों की सेवा के साथ-साथ उनकी रक्षा के लिए भी सभी हिदू भाइयों को एकजुट होना पड़ेगा। स्वामी ने कहा कि सिर्फ गाय की सेवा करने सभी देवी-देवताओं की सेवा का पुण्य प्राप्त हो जाता है। दिन भर के काम से कुछ समय निकालकर गोसेवा का पुण्य जरूर कमाएं। गोसेवा समान कोई सेवा नहीं है। यह सबसे उत्तम सेवा है।
उन्होंने श्रद्धालुओं को पंचगव्य का सेवन करने की प्रेरणा देते हुए कहा कि गाय के गोबर, मूत्र, दूध, दही व घी से बने पंचगव्य का सेवन करने से बीमारियां पास नहीं फटकती। पुरातन समय में ऋषि-मुनि पंचगव्य सेवन करते थे तो लंबी उम्र तक हष्ट-पुष्ट रहते थे। आज लोग पंचगव्य सेवन करने में संकोच करते हैं। स्वामी जी ने श्रद्धालुओं को घर के आंगन में रोज नहीं तो सप्ताह में एक दिन जल में गोमूत्र डाल पोछा जरूर लगाने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि गोमूत्र के जल से पोछा लगाने से घर-आंगन पवित्र होता है। गायों को स्नान कराकर, उन्हें सुसज्जित कर सुगंध पुष्पादि से उनका पूजन करना चाहिए। इसके पश्चात यदि संभव हो तो गायों के साथ कुछ दूर तक चलना चाहिए। मान्यता है कि ऐसा करने से प्रगति का मार्ग प्रशस्त होता है। गायों को हरा चारा, गुड़, भोजन आदि कराना चाहिए तथा उनकी चरण रज को मस्तक पर लगाना चाहिए। ऐसा करने से सौभाग्य की वृद्धि होती है। मंदिर प्रांगण गाय माता के जयकारों से गूंज उठा।
सुबह साढ़े पांच बजे स्वामी जी के नेतृत्व में श्रद्धालु श्री राम भवन से प्रभातफेरी के रुप में भजन-कीर्तन करते हुए टिब्बी साहिब गोशाला पहुंचे। जहां स्वामी जी ने गायों का पूजन कर उन्हें हरा चारा, गुड़ आदि खिलाया। वहीं गायों को वस्त्र भेंट किए। गोशाला कमेटी के अध्यक्ष अमृत लाल खुराना ने स्वामी जी व श्रद्धालुओं का आभार व्यक्त किया।
इस मौके पर रमन जैन, महेश शर्मा, राकेश उर्फ रोहित, नत्थू राम गोयल, अनिल वाट्स, सतीश बांसल, मेघराज गर्ग दोदेवाले, राजकुमार गोयल, दीपू कोठारी, राजीव समेत बड़ी गिनती में श्रद्धालु उपस्थित थे। इनसेट
गायों की रक्षा करने पर भगवान कृष्ण का नाम पड़ा गोबिंद
महामंडलेश्वर स्वामी कमलानंद ने कहा कि गायों की रक्षा करने के कारण भगवान श्री कृष्ण जी का अतिप्रिय नाम गोबिंद पड़ा। हिदू संस्कृति में गाय व गोपाष्टमी पर्व का विशेष स्थान हैं। गाय को मां का दर्जा दिया गया हैं क्योंकि जिस तरह एक मां का हृदय कोमल होता है उसी प्रकार गाय माता का हृदय भी कोमल होता हैं।