बुराई का जवाब अच्छाई से दें : दिव्यानंद गिरि
स्वामी दिव्यानंद गिरि जी ने कहा कि मनुष्य को हमेशा नम्रता धारण करनी चाहिए।
संवाद सूत्र, श्री मुक्तसर साहिब
स्वामी दिव्यानंद गिरि ने कहा कि मनुष्य को हमेशा नम्रता धारण करनी चाहिए। कभी दुश्मन को भी कटु वचन नहीं बोलने चाहिए। बुराई का बदला भी अच्छाई से चुकाना चाहिए। अगर हम भी दूसरों की तरह बुरा व्यवहार करेंगे तो उसमें और हममें क्या अंतर रह जाएगा। अगर आप दुश्मन के साथ भी नम्रतापूर्ण व्यवहार करेंगे तो वो भी एक न एक दिन आपका कायल हो जाएगा। महामंडलेश्वर स्वामी दिव्यानंद गिरि जी ने ये विचार रविवार को श्री रघुनाथ मंदिर में माघ महात्म्य भक्ति ज्ञान यज्ञ कथा के नौवें दिन प्रवचनों की अमृतवर्षा करते हुए व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि मनुष्य को कोई बात बोलने से पहले सौ बार सोच-विचार करना चाहिए कि कहीं उसके द्वारा कही गई बात से किसी के मन को ठेस तो नहीं पहुंच रही है। गुस्से में मनुष्य सामने वाले को काफी बुरा-भला कह जाता है मगर बाद में उसे खुद पछतावा होता है मगर तब तक देर हो चुकी होती है क्योंकि जिस तरह तरकश से निकला तीर कमान में लौटकर नहीं आता उसी तरह जुबान से निकले कड़वे वचन वापस नहीं लौटते।
उन्होंने कहा कि भारत की भूमि पीरों-पैगंबरों, गुरुओं तथा शूरवीरों की धरती है। इस धरती पर पीरों-पैगंबरों ने समय-समय पर अवतार धारण कर मानवता का संदेश दिया है। जब-जब धरती पर पाप बढ़ा है या किसी दुष्ट द्वारा गरीबों पर अत्याचार किए गए हैं तब-तब भगवान ने किसी न किसी रूप में धरती पर अवतार लिया और दुष्टों का संहार किया। रावण के पापों का अंत करने के लिए भगवान ने श्री राम चंद्र के अवतार में जन्म लिया तो कंस के अत्याचारों से लोगों को निजात दिलाने के लिए भगवान कृष्ण रुप में अवतरित हुए। इस मौके बड़ी गिनती में श्रद्धालु मौजूद थे।