पुत्रदा एकादशी व्रत कल : पं. जोशी
श्रावण महीने में शुक्ल पक्ष को आने वाली एकादशी पवित्रा एकादशी व्र्त भी कहते हैं।
संवाद सूत्र, श्री मुक्तसर साहिब
श्रावण महीने में शुक्ल पक्ष को आने वाली एकादशी पवित्रा एकादशी के नाम से जानी जाती हैं। यह जानकारी पं. पूरन चंद्र जोशी ने गांधी नगर में व्रत संबंधी जानकारी देते हुए दी। उन्होंने बताया कि श्रावण शुक्ल पक्ष की एकादशी, पवित्रा पुत्रदा, और पापनाशनी होती है। इस एकादशी को प्रात: स्नान करने के बाद भक्ति भाव से, विधी विधान सहित भगवान विष्णु का पूजन करें। फल ,फूल ,आदि पूजन सामग्री अर्पण कर, दूसरे दिन पारणा करके ,यथा शक्ति ब्राह्मण - भोजन करवाकर बाद में खुद स्वयं भोजन करे। इस व्रत के करने से पापों का नाश ,और पुत्र की प्राप्ति होती है। पहले द्वापर युग के आदि में, माहिष्मति के राजा महीजीत का कोई पुत्र नहीं था। इस कारण राजा प्रजा दोनों चिन्तित थे। उन्होंने घोर वन में कठिन तप किया और तब उस वन में राजा को लोमेश ऋषि के दर्शन हुए। तब राजा ने लोमेश ऋषि को दंडवत प्रणाम कर उनसे प्रर्थना की, कि उनके कोई उत्तराधिकारी (संतान) नहीं है । राजा ने ऋषिवर से शिर झुकाकर प्रार्थना की कि ऋषिवर पुत्र प्राप्ति का कोई उपाय बताइए। तब लोमेश ऋषि ने श्रावण शुक्ल पक्ष पवित्रा (पुत्रदा) एकादशी का व्रत करने की आज्ञा दी। तदानुसार नगर वासियों,सहित राजा ने श्रद्धा पूर्वक इस पुत्रदा एकादशी का व्रत पूजन किया,और इस व्रत के प्रभाव से राजा को पुत्र की प्राप्ति हुई।यह व्रत पुत्र प्राप्ति के लिए किया जाता है।