शरीर के रोगी होने का कारण हमारा आहार : प्रदीप रश्मि
धर्म साधना करने का पहला साधन व्यक्ति का शरीर है। अगर शरीर अस्वस्थ है तो धर्म आराधना भी नहीं हो सकती है।
संवाद सूत्र, मलोट (श्री मुक्तसर साहिब) : धर्म साधना करने का पहला साधन व्यक्ति का शरीर है। अगर शरीर अस्वस्थ है तो धर्म आराधना भी नहीं हो सकती है। धर्म आराधना से ही मनुष्य भव सार्थक होता है। बिना धर्म आराधना का जीवन व्यर्थ है पशु तुल्य है। जीवन वही धन्य होता है जो सार्थक होता। व्यर्थ जीवन सभी के द्वारा धिकारा जाता है। स्वास्थ्य शरीर बिना जीवन का सार्थक होना असंभव है। यह विचार पंजाब सिंहनी प्रदीप रश्मि महाराज साहब ने एसएस जैन सभा मलोट के प्रांगण में धर्म चर्चा के दौरान कहे। उन्होंने कहा कि पहला सुख निरोगी काया। व्यक्ति का पहला सुख उसके शरीर का निरोग होना है। पहला सुख नींव है जिस पर सारे सुखों का महल खड़ा होता है। उन्होंने कहा शरीर के रोगी होने का सबसे बड़ा कारण हमारा आहार है। बाजारू भोजन शरीर में अनेक रोग पैदा करता है। आज बाजारों में मिलने वाला भोजन का फैशन हो गया है। आज का इंसान अपनी जीभ पर नियंत्रण नहीं कर पा रहा है। उन्होंने भोजन करने की विधियों का वर्णन किया। शरीर को रोग मुक्त रखने के लिए उपाय बताएं। इस अवसर पर एस एस जैन सभा के प्रधान प्रवीण जैन कोषाध्यक्ष, बिहारी लाल जैन, राजन, पिटा जैन, मनोज जैन, उमेश नागपाल, विकास सचदेवा, हरमेश सिगला आदि उपस्थित थे।