नगर कीर्तन के साथ माघी मेला संपन्न, जारी रहेगा मनोोंजन मेला
श्री गुरु गोबिद सिंह जी के चालीस मुक्तों (शहीदों) की याद मे नगर कीर्तन निकाला गया।
जागरण संवाददाता, श्री मुक्तसर साहिब
श्री गुरु गोबिद सिंह जी के चालीस मुक्तों (शहीदों) की याद में वीरवार को शुरू हुआ माघी मेला शनिवार को श्री दरबार साहिब की ओर से नगर कीर्तन निकालने के साथ धार्मिक पर संपन्न हो गया है। रवायती तौर पर बेशक धार्मिक मेला संपन्न हो गया है, लेकिन मनोरंजन मेला फरवरी के अंत तक चलता रहेगा।
गुरुद्वारा श्री दरबार साहिब प्रबंधकीय कमेटी की ओर से निकाला गया यह विशाल नगर कीर्तन श्री दरबार साहिब के नाका नंबर चार से शुरू हुआ जोकि शहर के विभिन्न गुरुद्वारों से होता हुआ वापस श्री दरबार साहिब के नाका नंबर सात पर पहुंचकर संपन्न हुआ। श्री गुरु ग्रंथ साहिब की छत्रछाया और पांच प्यारों के नेतृत्व में इस भव्य नगर कीर्तन का शहर में जगह-जगह पर पुष्पवर्षा के साथ भव्य स्वागत हुआ। नगर कीर्तन में जहां बड़ी गिनती में श्रद्धालु मौजूद रहे, वहीं रास्ते में श्रद्धालु बड़ी संख्या में नतमस्तक होने के लिए खड़े इंतजार कर रहे थे।
नगर कीर्तन मलोट रोड से रेलवे रोड, मस्जिद चौक, बैंक रोड, घास मंडी, अबोहर रोड, मौड़ रोड, फैक्ट्री रोड, पुरानी दाना मंडी, टिब्बी साहिब रोड, गुरूद्वारा श्री टिब्बी साहिब, गुरुद्वारा श्री रकाबसर साहिब, गुरुद्वारा श्री दातनसर साहिब से होता हुआ श्री दरबार साहिब के नाका नंबर सात पर पहुंचकर संपन्न हुआ। नगर कीर्तन के दौरान आसमान सतनाम वाहेगुरु और जो बोले सो निहाल, सत श्री अकाल के जयकारों से गूंजता रहा। नगर कीर्तन के आगे-आगे श्रद्धालुओं ने झाड़ू लगाकर सफाई की। फौजी बैंड पार्टी शब्दों की धुनें बजा रही थी। इसके साथ ही रागी जत्था कीर्तन कर रहा था। इस दौरान निहंग-सिंहों की ओर से गतका के जौहर दिखाए जा रहे थे। नगर कीर्तन के दौरान श्रद्धालुओं की ओर से संगतों के लिए विभिन्न प्रकार के लंगर लगाए गए।
निहंग सिंहों ने मोहल्ला भी निकाला जिन्होंने हाथी, घोड़ों पर सवार होकर अपनी शक्ति का प्रदर्शन किया। होला मोहल्ला लोगों के आकर्षण का केंद्र बना रहा। टिब्बी साहिब रोड पर देर शाम घोड़ दौड़ का आयोजन भी किया गया। जिसे देखने को बड़ी संख्या लोग उमड़े। इसके अलावा गुरुद्वारा दातनसर के नजदीक स्थित नूरदीन की मजार पर श्रद्धालुओं की ओर से जूते भी बरसाए गए। बता दें कि जब गुरु गोबिद सिंह जी इस स्थान पर दातुन कर रहे थे तो पीछे से नूरदीन ने उन पर आकर वार करना चाहा था। गुरु जी ने अपने हाथ में पकड़े लोटे से उसे मार गिराया था। जिसके बाद ही यहां पर गुरुद्वारा साहिब का निर्माण हुआ, जिसे गुरुद्वारा श्री दातुनसर का नाम दिया गया। इसलिए संगत मेला माघी के इस दिन यहां पर पहुंचकर नूरदीन की मजार पर जूते मारती है।