ब्रह्मज्ञान से ईश्वर का प्रत्यक्ष दर्शन
दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा स्थानीय आश्रम डबवाली मलको में सतसंग आयोजन किया गया। जिसमें श्री आशुतोष महाराज जी के शिष्य स्वामी चिन्मयाननंद जी ने कहा कि भागती-दौड़ती आधुनिक जिदगी ने सभी को व्यस्त कर दिया है । सभी के जीवन में उलझने परेशानियां उल्टे सीधे विचार लिए ता उम्र अपनी मनबुद्धिपर देते हुए जिदगी का सफर त
संवाद सूत्र, मलोट (श्री मुक्तसर साहिब)
दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा स्थानीय आश्रम डबवाली मलको में सत्संग का आयोजन किया गया। इसमें श्री आशुतोष महाराज जी के शिष्य स्वामी चिन्मयाननंद ने कहा कि भागती-दौड़ती आधुनिक जिदगी ने सभी को व्यस्त कर दिया है। सभी के जीवन में उलझने परेशानियां उल्टे सीधे विचार लिए ता उम्र अपनी मन बुद्धि पर देते हुए जिदगी का सफर तय करते हैं ऐसा नहीं कि हम इस से निकलने के लिए प्रयास नहीं करते जरूर प्रयास करते हैं लेकिन फिर भी इसमें फस कर रह जाते हैं। आगे स्वामी ने कहा कि प्रत्येक मनुष्य यही चाहता है कि उसके जीवन में परेशानियों की जगह आनंद हो भागदौड़ की थकान की जगह चैन की सांस हो। जब तक हम अपने आधार से नहीं जुड़ते। अपनी आत्मा को नहीं जान लेते तब तक जीवन की उलझनें आप को परेशान करती रहेगी। क्योंकि इंद्रियां और सांसारिक वस्तुएं हमें सच्चा आनंदन हीं दे सकती। इस लिए यही एकमात्र मार्ग है जो हमारे सभी संत महापुरुष देकर गए। हम किसी महापुरुष के समक्ष जाकर अध्यात्म ज्ञान ब्रह्मज्ञान ईश्वर का प्रत्यक्ष दर्शन सनातन पुरातन मार्ग को प्राप्त करें। इस अवसर पर लंगर का प्रबंध किया गया।