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ब्रह्मज्ञान से होगी ईश्वर की प्राप्ति : दिवेशा भारती

दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा मुक्तसर कोटकपूरा रोड़ पर तीन दिवसीय श्री कृष्ण महिमा कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसके दूसरे दिवस में आशुतोष महाराज के परम शिष्या साध्वी दिवेशा भारती ने बताया कि जब महाभारत के युद्ध के दौरान अर्जुन मोहपाश में बंध गया तब उसे मोहपाश से मुक्त कराने के लिए भगवान श्री कृष्ण ब्रह्म ज्ञान प्रदान करते है

By JagranEdited By: Published: Sun, 16 Sep 2018 04:19 PM (IST)Updated: Sun, 16 Sep 2018 04:19 PM (IST)
ब्रह्मज्ञान से होगी ईश्वर की प्राप्ति : दिवेशा भारती
ब्रह्मज्ञान से होगी ईश्वर की प्राप्ति : दिवेशा भारती

जागरण संवाददाता, श्री मुक्तसर साहिब

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दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा मुक्तसर-कोटकपूरा रोड पर तीन दिवसीय श्री कृष्ण महिमा कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इसके दूसरे दिन आशुतोष महाराज के परम शिष्या साध्वी दिवेशा भारती ने बताया कि जब महाभारत के युद्ध के दौरान अर्जुन मोहपाश में बंध गया तब उसे मोहपाश से मुक्त कराने के लिए भगवान श्री कृष्ण ब्रह्मज्ञान प्रदान करते हैं। यहां प्रभु एक गुरु की भूमिका निभाते हैं। वास्तव में जब एक पूर्ण गुरु का एक मानव की ¨जदगी में आगमन होता है तब वो एक जिज्ञासु के भीतर ब्रह्मज्ञान को प्रकट करते हैं।

ग्रंथों में बड़े विस्तार से बताया गया कि एक पूर्ण गुरु जब एक जिज्ञासु के मस्तिष्क पर हाथ रखते हैं तब एक जिज्ञासु की तीसरी आंख (शिव नेत्र) को खोलकर उसको उसी के हृदय में ईश्वर का दर्शन करवाते हैं। क्योकि ईश्वर प्रत्येक मानव के हदय में निवास करता है। यूँ तो प्रभु इस भौतिक जगत के कण कण में समाये हैं लेकिन यदि उस प्रभु को प्राप्त करना है तो अंतरहृदय की गहराई में उतरना पड़ेगा। पर्यावरण में वाष्प के रूप में जल मौजूद है लेकिन एक प्यासा इंसान यदि इधर उधर हाथ मारे उसे जल की प्राप्ति नहीं हो सकती इसके लिए एक माध्यम है नल। ठीक इस प्रकार से ईश्वर को प्राप्त करने का एक माध्यम है इंसान का हृदय। पूर्ण गुरु की कृपा से जब एक साधक अपने अंतर हृदय में प्रवेश करता है तो वो अपने घट से प्रभु को प्रकाश रूप में देखता है और इसके पश्चात शाश्वत भक्ति प्रारंभ होती है। जिस भक्ति का सहारा लेकर एक इंसान आवागमन के चक्र से स्वतंत्र हो सकता है। यही ग्रंथों का सार है।


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