रागी, ढाडी, कविश्री व प्रचारकों ने संगत को गुरबाणी से जोड़ा
चालीस मुक्तों की याद में वार्षिक जोड़ मेले में बड़ी संख्या में संगत ग्रुद्वारे में नतमस्तक हुई।
संवाद सहयोगी, श्री मुक्तसर साहिब
चालीस मुक्तों की याद में वार्षिक जोड़ मेले में बड़ी संख्या में संगत ने गुरुद्वारा श्री दरबार साहिब तथा अन्य गुरु घरों में नतमस्तक होकर अपनी श्रद्धा व्यक्त की। रागी, ढाडी, कविश्री तथा प्रचारकों ने संगत को गुरबाणी कीर्तन तथा सिख इतिहास के साथ जोड़ा। शिरोमणि कमेटी की तरफ से भाई महा सिंह दीवान हाल में गुरमति सम्मेलन करवाया गया।
इस अवसर पर शिरोमणि गुरुद्वारा कमेटी के प्रधान बीबी जगीर कौर ने शिरकत ककी। उन्होंने खिदराने की ढाब से मुक्तसर साहिब के इतिहास को साझा करते हुए गुरु के प्यारे सिहों की शहादत के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि मुक्तसर का इतिहास टूटी गंढी की वह मिसाल है, जिसने भूल के अहसास को शहादतों के साथ सजाया। कुबानियों की गाथा हर सिख को गुरु साहिब के आगे समर्पित रहने की प्ररेणा देती है। उन्होंने सिख महिलाओं को भी अपील की है कि वह बच्चों तथा नौजवानों के अंदर सिख सरोकारों को मजबूत करने के लिए अपनी जिम्मेवारी निभाएं। बीबी जगीर कौर को सिरोपा डालकर सम्मानित किया गया।
समागम में नवतेज सिंह काऊनी, बीबी जोगिदर कौर बठिडा, बीबी गुरिदर कौर, डायरेक्टर शिक्षा डा. तेजिदर कौर धालीवाल, मैनेजर सुमेर सिंह आदि उपस्थित थे। --------------------- 51 लाख में बिका बेताब नुकरा नस्ल का घोड़ा
संवाद सहयोगी, श्री मुक्तसर साहिब गुरुहरसहाय रोड पर गांव लंबी ढाब के पास लगने वाला पशु मेला लोगों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। मेला प्रबंधक मनदीप सिंह भाटी, दविदर भाटी, बिन्नी, दविदर बराड़, दविदर भाटी आदि ने बताया कि मेले में अब तक लगभग 11 सौ जानवर आ चुके हैं। मारवाड़ी घोड़े, नुकरा, नीला चंबल, काला चंबल आदि नस्लों के घोड़े आ चुके हैं। पशु मेले में कबूतर, मुर्गे तथा बकरियां व अलग-अलग नस्लों के कुत्ते भी आए है। उन्होंने बताया कि मेले में अब तक सबसे महंगा बेताब नामक घोड़ा नुकरा नस्ल का 51 लाख रुपये का बिका है। घोड़े के मालिक अमृतपाल सिंह तरखानवाला ने उसे उत्तर प्रदेश के एक व्यक्ति को बेचा है। मेले में खरीदार उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, पंजाब तथा राजस्थान से लोग जानवरों की खरीदारी करने के लिए आते हैं।