शालीग्राम पूजन से दूर होतें हैं कष्ट : कमलानंद गिरि
स्वामी कमलानंद गिरि जी ने कार्तिक महोत्सव पर चर्चा करते हुए कहा कि कार्तिक का महीना सभी महीनों में शिरोमणि है। ये माह सभी महीनों में सर्वश्रेष्ठ है। इस महीने न ज्यादा गर्मी होती है न ज्यादा ठंड। इसलिए जो भी भक्त इस माह प्रात:काल उठकर कार्तिक महोत्सव श्रवण करता है उससे अनंत गुणा फल मिलता है। स्वामी ने ये विचार श्री राम भवन में बुधवार से शुरु हुए वार्षिक कार्तिक महोत्सव के प्रथम दिन प्रवचनों की अमृतवर्षा करते हुए व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि कार्तिक के महीने में जो भक्त भगवान चतुर्भुज नारायण की महिमा गाता है, उनकी आराधना करता है
संवाद सूत्र, श्री मुक्तसर साहिब
स्वामी कमलानंद गिरि जी ने कार्तिक महोत्सव पर चर्चा करते हुए कहा कि कार्तिक का महीना सभी महीनों में शिरोमणि है। ये माह सभी महीनों में सर्वश्रेष्ठ है। इस महीने न ज्यादा गर्मी होती है न ज्यादा ठंड। इसलिए जो भी भक्त इस माह प्रात: काल उठकर कार्तिक महोत्सव श्रवण करता है उससे अनंत गुणा फल मिलता है। स्वामी ने ये विचार श्री राम भवन में बुधवार से शुरू हुए वार्षिक कार्तिक महोत्सव के प्रथम दिन प्रवचनों की अमृतवर्षा करते हुए व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि कार्तिक महीने में जो भक्त भगवान चतुर्भुज नारायण की महिमा गाता है, उनकी आराधना करता है उसके सभी मनोरथ पूर्ण होते हैं। ये महीना भगवान चतुर्भुज नारायण को रिझाने वाला महीना है। इस माह जितना हो सके भगवान चतुर्भुज नारायण की पूजा-अर्चना करें और जीवन सफल बनाएं।
स्वामी कमलानंद ने कहा कि कार्तिक मास में शालीग्राम पूजन का भी बहुत महत्व है। इस माह शालीग्राम पूजन करने से भी भक्तों के कष्ट कटते हैं। प्रवक्ता रमन जैन, मंदिर के पुजारी पं. रणजीत शर्मा, दीपिका दाबड़ा आदि ने बताया कि महोत्सव के दौरान रोजाना सुबह साढ़े पांच से सात बजे तक महामंडलेश्वर स्वामी कमलानंद गिरि श्रद्धालुओं को कार्तिक महोत्सव का महत्व बताया करेंगे।
श्री सुंदर कांड पाठ कर पाएं वीर बजरंगी का आशीर्वाद
श्री राम भवन में चल रहे श्री सुंदर कांड पाठों मौके प्रवचनों की अमृतवर्षा में सुंदर कांड का भाव भरा वर्णन करते हुए स्वामी कमलानंद जी महाराज ने कहा कि सुंदर कांड में हनुमान जी का लंका प्रस्थान, लंका दहन से लेकर लंका से वापसी तक के घटनाक्रम शामिल हैं। इस कांड के दौरान हनुमान जी ने लंकिनी वध कर लंका में प्रवेश किया। हनुमान-विभीषण संवाद, हनुमान जी का अशोक वाटिका में मां सीता जी को देखकर दुखी व विचलित होना, मां सीता व त्रिजटा संवाद, मां सीता-हनुमान जी संवाद, हनुमान जी द्वारा अशोक वाटिका का विध्वंस, अक्षय कुमार वध, मेघनाद का हनुमान जी को नागपाश में बांधकर रावण की सभा में ले जाना, हनुमान-रावण संवाद, लंका दहन, लंका दहन के बाद हनुमान जी का सीता जी से विदा मांगना, समुद्र पार कर वापिस प्रभु श्री राम चंद्र जी के पास पहुंच माता सीता का हाल सुनाना, सुग्रीव प्रभु श्री राम मिलन, श्री राम चंद्र जी का वानर सेना के साथ समुद्र तट पर पहुंचना आदि घटनाएं सुंदर कांड का हिस्सा हैं। स्वामी जी ने कहा कि कुल मिलाकर श्री सुंदर कांड में वीर बजरंगी का गुणगान है। जो भक्त सच्चे ह्दय से श्री सुंदर कांड पाठ करता है अथवा श्रवण करता है, वीर बजरंगी उसके सभी दु:ख दूर करते हैं। जो भक्त वीर बजरंगी का आशीर्वाद प्राप्त करना चाहता है वो अपने घर में श्री सुंदर कांड पाठ अवश्य करवाए। इस दौरान मंदिर प्रांगण वीर बजरंगी के जयकारों से गूंज उठा।