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बच्चे तो दूर शिक्षकों को भी नहीं आती पंजाबी

सरबजीत ¨सह श्री मुक्तसर साहिब एक ओर तो राज्य सरकार पूरे राज्य में पंजाबी को प्रफुलित करने पर जोर दे रही है। इसके लिए लाखों प्रयत्न किए जा रहे हैं। लेकिन दूसरी ओर स्कूलों में ही पंजाबी मां बोली का कत्ल किया जा रहा है। बच्चों को अंग्रेजी पढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है और पंजाबी बच्चों के पहुंचे से भी दूर होती जा रही है। बच्चे तो क्या उन्हें सिखाने वाले शिक्षकों को खुद ही

By JagranEdited By: Published: Fri, 22 Feb 2019 05:26 PM (IST)Updated: Fri, 22 Feb 2019 05:26 PM (IST)
बच्चे तो दूर शिक्षकों को भी नहीं आती पंजाबी

सरबजीत ¨सह, श्री मुक्तसर साहिब

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एक ओर तो राज्य सरकार पूरे प्रदेश में पंजाबी को प्रफुलित करने पर जोर दे रही है। दूसरी ओर स्कूलों में ही पंजाबी मां बोली की अनदेखी की जा रही है। बच्चों को अंग्रेजी पढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है और पंजाबी बच्चों के पहुंचे से भी दूर होती जा रही है। बच्चे तो क्या उन्हें सिखाने वाले शिक्षकों को भी पंजाबी का ज्ञान नहीं है। एमए,बीएड शिक्षकों को यह तक पता नहीं है कि पंजाबी के स्वर कितने होते हैं और वर्णमाला में पूरे अक्षर कितने होते हैं।

इंपीरियल स्कूल में स्कूल की एमए बीएड, आर्ट एंड क्राफ्ट की शिक्षक समेत अन्य किसी भी शिक्षक या बच्चे ने पंजाबी की पूरी वर्णमाला तक नहीं सुनाई। बच्चे यह भी नहीं बता पाए कि वर्णमाला में कुल अक्षर कितने होते हैं और पंजाबी के स्वर कितने होते हैं। किसी भी बच्चे या शिक्षक को नहीं पता था कि वीरवार को पंजाबी मां बोली दिवस मनाया गया है। इंपीरियल स्कूल के शिक्षक कैमरे से भागते रहे और किसी काम का बहान लगाकर चलते बने।

अकाल अकादमी स्कूल के बच्चे व शिक्षक भी इससे अनजान ही रहे। कुछ बच्चे को पंजाबी वर्णमाला में 53 अक्षर बताते रहे। शिक्षकों व बच्चों को यह तक नहीं पता था कि जो पांच अक्षर दूसरी भाषा से लिए हैं वह किस भाषा के हैं। स्कूल के शिक्षकों भी पता नहीं था कि पंजाब दिवस है, पंजाबी में कितने स्वर हैं। सरकारी सीनियर सेकेंडरी स्कूल लड़के व सरकारी कन्या स्कूल के विद्यार्थियों तक को भी इसका ज्ञान नहीं था। उन्हें भी पंजाबी की वर्णमाला व स्वर का पता नहीं था। इससे यह तो साफ हो गया है कि स्कूलों में पंजाबी की क्या स्थिति है। प्राइवेट स्कूल तो अंग्रेजी पढ़ाने को ही प्राथमिकता देते हैं।


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