यूरिया का पर्याप्त स्टॉक : डीसी
जागरण संवाददाता, श्री मुक्तसर साहिब डीसी एमके अरा¨वद कुमार ने जिले में यूरिया खाद की उपलब्धता संबंधी अधिकारियों से बैठक करने के बाद बताया है कि जिले में जरूरत के अनुसार यूरिया खाद उपलब्ध है व किसान इस संबंधी किसी भी घबराहट में न आएं। डीसी एमके अरा¨वद कुमार ने बताया कि जिला मुक्तसर में 2.25 लाख हैक्टेयर रकबे में हाड़ी की फसलों की बिजाई की गई है व इसलिए पंजाब खेतीबाड़ी यूनिवर्सिटी की सिफारिशों के अनुसार 67,500 मीट्रिक टन यूरिया खाद की जरूरत है। जिसके मुकाबले अब तक 57,116 मीट्रिक टन यूरिया की सप्लाई जिले में हो चुकी है व इस में से भी अभी 10,3
जागरण संवाददाता, श्री मुक्तसर साहिब
डीसी एमके अरा¨वद कुमार ने जिले में यूरिया की उपलब्धता संबंधी अधिकारियों से बैठक करने के बाद बताया है कि जिले में जरूरत के अनुसार यूरिया उपलब्ध है व किसान इस संबंधी किसी भी घबराहट में न आएं। डीसी एमके अरा¨वद कुमार ने बताया कि जिला मुक्तसर में 2.25 लाख हेक्टेयर रकबे में हाड़ी की फसलों की बिजाई की गई है व इसलिए पंजाब खेतीबाड़ी यूनिवर्सिटी की सिफारिशों के अनुसार 67,500 मीट्रिक टन यूरिया की जरूरत है। इसके मुकाबले अब तक 57,116 मीट्रिक टन यूरिया की सप्लाई जिले में हो चुकी है व इस में से भी अभी 10,384 मीट्रिक टन यूरिया सहकारी सभाएं व दुकानदारों के पास बिना बिकी पड़ी है। इसी तरह लगभग 10,000 मीट्रिक टन यूरिया के रैक जिले में आने वाले 10 दिनों में पहुंच जाएंगे।
डीसी ने खेतीबाड़ी विभाग को निर्देश दिए है कि खाद डीलरों को सख्त हिदायत की जाएं कि किसानों को यूरिया के साथ कोई भी ओर वस्तु खरीदने के लिए मजबूर न किया जाए। डीसी ने जिले के किसानों को भी अपील की है कि अगर कोई दुकानदार यूरिया के साथ कोई ओर सामग्री खरीदने के लिए मजबूर करता है तो तुरंत इसकी शिकायत जिला खेतीाबड़ी कार्यालय या उनके कार्यालय को की जाएं।
जिला खेतीबाड़ी अधिकारी बल¨जदर ¨सह बराड़ ने किसानों को जानकारी देते बताया कि खेती यूनिवर्सिटी की सिफारिशों के अनुसार गेहूं की फसल को 2 थैले प्रति एकड़ से अधिक यूरिया खाद कभी न डालें। इसी तरह गेहूं की फसल को यूरिया खाद केवल 55 दिनों तक ही डालें,क्योंकि लेट पाई गई यूरिया दानों के वजन को बढ़ाने की बजाए केवल नाड़ का वजन ही बढ़ाती है। उन्होंने बताया कि सिफारिश से अधिक मात्रा में प्रयोग की गई यूरिया खाद के कारण गेहूं पर तेले व बीमारियों का हमला अधिक होता है व परिणाम के रूप में बाद में इसकी रोकथाम के लिए अधिक खर्चा करना पड़ता है। इसलिए किसानों को खेतीबाड़ी यूनिवर्सिटी की सिफारिश के अनुसार ही खाद का प्रयोग करना चाहिए।
बैठक में जिल खेतीबाड़ी अधिकारी बल¨जदर ¨सह बराड़,एडीओ गुरप्रीत ¨सह, डीएम मार्कफैड गुरमनप्रीत ¨सह, एआर सहकारी सभाएं जसबीर ¨सह भी उपस्थित थे।