डॉक्टर से रोग और गुरु से पाप कभी न छिपाएं : कमलानंद जी
संवाद सूत्र, श्री मुक्तसर साहिब स्वामी कमलानंद गिरि जी ने कार्तिक महोत्सव पर चर्चा करते हुए कह
संवाद सूत्र, श्री मुक्तसर साहिब
स्वामी कमलानंद गिरि जी ने कार्तिक महोत्सव पर चर्चा करते हुए कहा कि मरीज को डॉक्टर से रोग और शिष्य को कभी गुरु से पाप कभी नहीं छिपाना चाहिए। अगर मरीज डॉक्टर से रोग छिपाएगा तो डॉक्टर मरीज का सही इलाज नहीं कर पाएगा। इसलिए जब तक डॉक्टर के सामने खुलकर बीमारी नहीं रखते तब तक इलाज असंभव होता है। वैसे ही अगर शिष्य से कोई पाप हो जाए तो उसे गुरु से न छिपाए। गुरु को अवश्य जाने-अनजाने में हुए पाप के बारे में बता दें, ताकि गुरु अपने शिष्य को उस पाप से मुक्ति का कोई रास्ता सुझा सकें। स्वामी कमलानंद जी ने यह विचार श्री राम भवन में चल रहे कार्तिक महोत्सव के दौरान वीरवार को प्रवचनों की अमृतवर्षा करते हुए व्यक्त किए। स्वामी जी ने अहोई अष्टमी पर भी प्रकाश डाला।
कमलानंद जी ने कहा कि जिस तरह राधा बिना भगवान कृष्ण, सीता बिना प्रभु श्री राम, पार्वती बिना भगवान शिव, लक्ष्मी बिना भगवान चतुर्भुज नारायण अधूरे लगते हैं उसी प्रकार भक्ति बगैर मनुष्य अधूरा है। यह मानव तन भक्ति के लिए ही मिला है। अगर मानव तन पाकर भी भक्ति न की तो कोई लाभ नहीं। जिस प्रकार पानी बिना नदी की शोभा नहीं, फसल बिना खेत की शोभा नहीं, खुशबू बगैर पुष्प की शोभा नहीं, प्राण के बगैर शरीर की शोभा नहीं, इंसानियत के बगैर इंसान की शोभा नहीं, उसी प्रकार जगदीश्वर बिना जगत की शोभा नहीं है।
स्वामी जी ने कहा कि माता-पिता और गुरू की सेवा करना, भगवान की भक्ति करना ही मानव जीवन का परम लक्ष्य है। उन्होंने कहा कि जगत के पीछे दौडऩे का कोई लाभ नहीं। अगर दौड़ना ही है तो जगदीश्वर के पीछे दौड़ो। जगत के लोगों से उम्मीदें लगाओगे तो कुछ हाथ नहीं लगेगा। अगर जगदीश्वर से उम्मीदें लगाओगे तो वह सब कुछ देंगे। स्वामी जी ने कहा कि जिस प्रकार पुराने वस्त्र उतारते और नए वस्त्र पहनाते समय बालक रोता है मगर उसकी माता उसके मैले वस्त्र उतारकर नए वस्त्र पहनाकर ही रहती है। उसी प्रकार भगवान भी मनुष्य का शरीर रुपी पुराना चोला उतारकर उसे नया चोला देते हैं। मगर व्यक्ति को दु:ख होता है लेकिन इसमें भी जीव का ही हित छुपा है।
रामायण पाठ करने वाली महिलाएं सम्मानित
स्वामी कमलानंद जी महाराज ने श्री रामायण पाठ करने वाली महिलाओं व युवतियों को सम्मानित भी किया। नवरात्र के दौरान श्री राम भवन में सामूहिक श्री रामायण एवं नवान्हपारायण श्री रामचरित मानस पाठ रखे गए थे। इस दौरान बड़ी संख्या में महिलाओं व युवतियों ने पाठ किए। जिन्हें स्वामी कमलानंद जी महाराज की ओर से उपहार भेंट कर सम्मानित किया गया। इस मौके मंदिर भगवान चुतुर्भज नारायण, मां लक्ष्मी व तुलसा महारानी के जयकारों से गूंज उठा।