मौसम की गर्मी ने किसानों की आमदन की नरम
धान की कम हुई पैदावार ने इस बार किसानों की परेशानी बढ़ा दी है। क्योंकि इतनी पैदावार कभी भी कम नहीं होती है।
रणजीत गिल्ल, दोदा (श्री मुक्तसर साहिब) : धान की कम हुई पैदावार ने इस बार किसानों की परेशानी बढ़ा दी है। क्योंकि इतनी पैदावार कभी भी कम नहीं होती है। अबकी बार तो किसानों को प्रति एकड़ के हिसाब से ही 20 हजार तक का नुकसान हो रहा है जिससे ठेके पर जमीन लेकर खेती करने वाले किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। बीते वर्ष धान की फसल में आए उछाल के कारण इस बार किसानों का बड़े स्तर पर नुकसान किया है। कुछ किसानों ने तो एडवांस में ठेके पर जमीन लेने के लिए दिए पैसे तक छोड़ दिए हैं।
प्रति एकड़ 20 मण तक कम हुई पैदावार
किसानों बलजीत सिंह, बाबू सिंह, गुरमीत सिंह आदि ने बताया कि इस बार प्रति एकड़ 20 मण तक पैदावार कम हुई है। परमल धान भी 15 से 20 मन कम हुआ है। बासमती 1121 की पैदावार जोकि अकसर 50 मन प्रति एकड़ के करीब होती है वह भी इस बार 30 से 35 मन ही हो रही है। वहीं बासमती का दाम जोकि बीते वर्ष 3100 रुपये प्रति क्विंटल तक था इस बार वह कम होकर 2300 रुपये तक आ गया है। मुछल का दाम बीते वर्ष के मुकाबले 700 रुपये कम होकर रह गया है। वहीं पूसा 44 जोकि प्रति एकड़ से 90 मन तक पैदावार देता है इस बार वह भी 55 मन से अधिक नहीं जा रहा है।
ठेके पर जमीन लेने वाले किसानों को दोहरी मार
बीते वर्ष आए उछाल के कारण क्षेत्र में जमीन के दाम 60 से 65 हजार प्रति एकड़ तक चले गए थे। जिस कारण कुछ किसानों ने बड़े स्तर पर जमीन ठेके पर लेकर खेती की थी। लेकिन एक तो पैदावार कम हुई दूसरा ठेके की राशि अधिक देनी पड़ी। ऐसा होने से किसानों को दोनों ओर से मार पड़ रही है। किसानों परेशानी के आलम में है। यहां तक कि कुछ किसानों ने तो एडवांस में ठेके पर जमीन लेने के लिए दिए पैसे तक छोड़ दिए हैं।
गर्मी की वजह से पड़ा असर
जिला कृषि अधिकारी बलजिदर सिंह बराड़ का कहना है कि इस बार सितंबर माह में अधिक गर्मी रही है। मौसम अधिक गर्म रहने के कारण ही ऐसा हुआ है। जिस कारण धान अधिक पक नहीं पाया और वह सूख गया। इतना प्रभाव बारिश ने नहीं डाला जितना सितंबर माह की गर्मी ने डाला है। जिन किसानों ने अगेते धान की बिजाई की थी उनकी भी पैदावार कम हुई है। लेकिन जिन लोगों ने समय पर बिजाई की थी उनकी पैदावार में कम कटौती हुई है।