100 साल पुरानी इस दुकान की जलेबी का जायका है कुछ ऐसा, हर कोई हो जाता है स्वाद का कायल
रसभरी जलेबी में जब तीन पीढ़ियों के अनुभव की मिठास हो तो लोगों का उसके स्वाद का कायल होना स्वाभाविक है। श्री मुक्तसर साहिब की 100 साल पुरानी इस दुकान की जलेबी भी कुछ ऐसी ही है।
जेएनएन, श्री मुक्तसर साहिब। शहर के बीचोंंबीच रामबाढ़ा बाजार में स्थित 100 वर्ष से भी अधिक पुरानी दुकान जलेबी के लिए मशहूर है। ‘ऊंची दुकान फीका पकवान’ वाला मुहावरा तो आपने सुना होगा, लेकिन यहां वास्तव में ‘छोटी दुकान, मीठा पकवान’ की बात कृतार्थ होती है। एक बार जो भी यहां की जलेबी का स्वाद चख लेता है, दोबारा यहीं आता है। हालांकि जलेबी मीठे के लिए जानी जाती है, लेकिन इस दुकान की जलेबी में मीठा उतना ही होता है जितना जरूरी होता है। इस दुकान की खासियत है कि यहां कोई भी बासी पदार्थ नहीं मिलता। सुबह से तैयार किया हुआ सामान शाम तक समाप्त हो जाता है, यदि बढ़ जाए, तो उसे दोबारा इस्तेमाल नहीं किया जाता।
तीन पीढ़ी से चल रही है दुकान
हालांकि इस दुकान को करतार मल्ल ने शुरू किया था। उसके पास आत्मा राम काम करता था। करतार मल्ल ने यह दुकान आत्म राम को दे दी थी। तब इस दुकान का नाम भी आत्मा राम हलवाई पड़ गया। उसके बाद उसके बेटे राज कुमार, फिर सुभाष चंद्र ने कार्य संभाला। बीते वर्ष हृदय गति रुकने से सुभाष चंद्र की मौत हो गई। अब उसके बेटा रवि कुमार इस दुकान को संभाल रहा है।
स्वच्छता ही पहचान
रवि कुमार के अनुसार उनके दादा व पिता ने एक ही बात सिखाई थी कि भले ही कम कमाई कर लेना, लेकिन किसी के साथ धोखा नहीं करना। इसलिए वह लालच किए बिना केवल अपने गुजारे के लिए लाभ ले कर काम करते हैं। साथ ही स्वच्छता का पूरा ध्यान रखते हैं। परमात्मा की मेहर से उनका काम अच्छा चल रहा है। जब कोई त्योहार या मेला आदि होता है तो करीब 90 किलो मैदा लग जाता है जलेबियों में, लेकिन गर्मी के दौरान दो दिन में 45 किलो लगता है। वह कहते हैं कि बचा हुआ कोई सामान दुकान में रखते ही नहीं है। या तो उसकी जलेबी बनाकर घर ले जाते हैं या फिर उसे नष्ट कर देते हैं।
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