भक्ति में मन लगाएंगे तो मिलेगा अच्छा फल: दिव्यानंद जी
संवाद सूत्र, श्री मुक्तसर साहिब : स्वामी दिव्यानंद गिरि जी ने भक्ति पर चर्चा करते हुए कहा कि म
संवाद सूत्र, श्री मुक्तसर साहिब :
स्वामी दिव्यानंद गिरि जी ने भक्ति पर चर्चा करते हुए कहा कि मन को सिर्फ एक तरफ ही लगाया जा सकता है या तो भक्ति में या फिर विषय-विकारों में। व्यक्ति जिस ओर मन को लगाएगा उसी प्रकार के फल की उसे प्राप्ति होगी। व्यक्ति मन को सद्गुरु की भक्ति में लगाए या विषय-विकारों में, यह उस पर ही निर्भर करता है कि उसे कैसा फल चाहिए। अगर भक्ति में मन को लगाएंगे तो अच्छा फल प्राप्त होगा। अगर विषय-विकारों में फंसे रहेंगे और भक्ति से विमुख हो जाएंगे तो जीवन गलत रास्ते पर चल पड़ेगा। दिव्यानंद ने ये विचार श्री रघुनाथ मंदिर में आयोजित वार्षिक माघ महात्म एवं ज्ञान भक्ति सत्संग कार्यक्रम के दौरान सोमवार को कहे। स्वामी जी ने मन को भक्ति में लगाने से जीवन आनंदमयी बनता है और सुख-शांति से बीतता है तथा जन्म-मरण के चक्कर व दुखों से सदा के लिए छुटकारा मिलता है। यदि विषय-विकारों और भोगों में मन लगाओगे तो जीवन में सदैव दुख, अशांति व कलह-कलेश ही मिलेगा। दिव्यानंद जी ने कहा कि मनुष्य को कभी भी धन, मकान, जमीन-जायदाद के लिए शोक नहीं करना चाहिए। इससे मनुष्य में ¨चता, व्याकुलता व भय पैदा होता है। वैराग्य भी अग्नि के समान है, जो राग रुपी लकड़ी को जलाता है। स्वामी जी ने कहा कि चंदन की लकड़ी में एक विशेष प्रकार की सुगंध होती है। जिससे आकर्षित होकर सर्प चंदन के वृक्षों के साथ लिपटे रहते हैं। मगर चंदन का वृक्ष न तो उसके विष को ग्रहण करता है न ही अपनी विशेषता त्यागता है। ठीक इसी प्रकार भक्तों को भी इस संसार में रहते हुए अपने सद्गुणों से सभी को आकर्षित करना आना चाहिए। इस मौके मंदिर प्रांगण सद्गुरु देव महाराज के जयकारों से गूंज उठा। बड़ी गिनती में श्रद्धालुओं ने पहुंचकर स्वामी दिव्यानंद जी एवं विवेकानंद जी महाराज से आशीर्वाद प्राप्त किया।