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साहित्यकार सत्यप्रकाश महापारायण कर बने 'चतुर्वेदी'

मोगा आतंकवाद के चरम दिनों में आतंकी मानसिकता पर अपनी काव्य पुस्तक लहू का एक मौसम के लिए राष्ट्रपति के हाथों सम्मानित हो चुके वरिष्ठ साहित्यकार सत्यप्रकाश उप्पल (68 वर्ष) ने अथर्ववेद के पारायण का महापारायण किया है। ऐसा करने वाले वह मोगा के ही नहीं बल्कि पंजाब के ऐसे व्यक्तित्व बन गए हैं जिन्होंने चारों वेदों का पारायण कर लिया है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 13 Jun 2020 11:49 PM (IST)Updated: Sat, 13 Jun 2020 11:49 PM (IST)
साहित्यकार सत्यप्रकाश महापारायण कर बने 'चतुर्वेदी'
साहित्यकार सत्यप्रकाश महापारायण कर बने 'चतुर्वेदी'

जागरण संवाददाता, मोगा

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आतंकवाद के चरम दिनों में आतंकी मानसिकता पर अपनी काव्य पुस्तक 'लहू का एक मौसम' के लिए राष्ट्रपति के हाथों सम्मानित हो चुके वरिष्ठ साहित्यकार सत्यप्रकाश उप्पल (68 वर्ष) ने अथर्ववेद के पारायण का महापारायण किया है। ऐसा करने वाले वह मोगा के ही नहीं बल्कि पंजाब के ऐसे व्यक्तित्व बन गए हैं, जिन्होंने चारों वेदों का पारायण कर लिया है। तीन वेदों का पारायण वह पहले ही कर चुके हैं।

महापारायण यज्ञ संपन्न करने वाले साहित्यकार सत्यप्रकाश उप्पल आर्य समाज मोगा के अध्यक्ष भी रह चुके हैं। महापारायण यज्ञ संपन्न कराने वाले आर्य समाज के कुल पुरोहित दिवाकर भारती ने बताया कि 15 दिन तक चले अथर्ववेद के परायण यज्ञ के दौरान अथर्ववेद के 5977 मंत्रों का उच्चारण करते हुए यज्ञ को संपन्न कराया। 15 दिनों में सात्विक जीवन जीते हुए सुबह व शाम दो-दो घंटे हर दिन यज्ञ चला।

अपने निवास स्थान पर अथर्ववेद का पारायण यज्ञ कर चारों वेदों का महापारायण यज्ञ संपन्न करने वाले सत्यप्रकाश उप्पल ने वास्तविक अर्थ में चतुर्वेदी उपाधि को धारण किया है। इस महायज्ञ में उनकी सहधर्मिणी प्रोमिला, उनके दोनों सुपुत्र एवं पुत्रवधू रोहिताश-मालती, कमलेश्वर व शिवानी का विशेष सहयोग रहा। इससे पहले सत्यप्रकाश उप्पल ने 'इदन्न मम' पुस्तक की भी रचना की। इस पुस्तक में उन्होंने अनेक प्रसिद्ध वेद मंत्रों को गीतरूप में छंद बद्ध किया है। ऋग्वेद, सामवेद, यजुर्वेद का पारायण उप्पल पहले ही कर चुके हैं।

यज्ञ के मध्य में मंत्रों की विस्तृत व्याख्या भी दिवाकर भारती ने की। साथ में आचार्य पं. सुनील कुमार जी मौजूद रहे।

'लहू का एक मौसम' पुस्तक से सत्यप्रकाश ने राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति अर्जित की थी। जिस समय पंजाब में आतंकवाद चरम पर था, तब सत्यप्रकाश उप्पल ने आतंकवाद और उस पर हो रही कार्रवाई पर बेबाक टिप्पणियां की थीं। उन्होंने पुस्तक में लिखा है था कि आतंकवादी कोई व्यक्ति नहीं बल्कि यह एक मानसिकता है। जब तक आतंकी मानसिकता दूर नहीं होगी, दुनिया से आतंकवाद खत्म नहीं होगा। उप्पल भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त हैं।


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