महामारी के कारण सादे ढंग से होने लगे विवाह, पैलेस कारोबार हुआ ठप
कोविड-19 के चलते दिन-प्रतिदिन बढ़ रहे कोरोना के कारण कारण विवाह शादियों के समागम सादे ढंग से होने लग गए हैं।
तरलोक नरूला, मोगा : कोविड-19 के चलते दिन-प्रतिदिन बढ़ रहे कोरोना के कारण कारण विवाह शादियों के समागम सादे ढंग से होने लग गए हैं। चट मंगनी पट विवाह की कहावत सार्थक हो रही है। विश्व व्यापी कोरोना वायरस की महामारी के कारण विवाह आयोजनों पर लगी बंदिशों के कारण अब लोग शादी का आकार छोटा करने लगे हैं। कोरोना के कारण जन्म जनमातर से चली आ रही परम्पराएं अब टूटती नजर आ रही है। हालत यह है कि अब मजबूरी वश शादी के कार्ड महिला संगीत और रिसेप्शन कि तिथियां गायब होने लग गई है। बार-बार रिश्तेदारों व मेहमानों को बुलाने से बचने के लिए तिलक व शादी का कार्यक्रम एक ही दिन का हो गया है। शादी का समय भी बदल गया है। दिन की शादियां हो रही है। रात्रि को बजने वाले डीजे का शोरगुल व सज सजावट से भी परहेज करना पड़ रह है। यही कारण है कि पैलेस का कारोबार ठप है। वहीं लोगों ने दोबारा महूर्त निकलवाकर सादे ढंग से शादी करवा कर रहे हैं। झेलनी पड़ रही दोहरी मार: राजीव
चोखा पैलेस के एमडी राजीव कांसल राणा का कहना है कि लॉकडाउन के समय में जो उनके पास शादी के समागम थे सभी रद हो गए। उनका कहना है कि सरकार द्वारा शादी में दी गई 30 सदस्यों की अनुमति के कारण मैरिज पैलेस में लोगों को समागम महंगा पड़ने लगा है। विवाह तो है लेकिन लोग इसे घरों में ही करने लग गए हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें दोहरी मार झेलनी पड़ रही है। कारोबार ठप है और बिजली बोर्ड द्वारा फिक्स बिजली बिल, स्वीपर आदि के खर्चे वैसे ही पड़ रहे है। नए महूर्त निकलवा रहे लोग: पंडित पवन
सनातन धर्म हरि मंदिर के पुजारी पंडित पवन गौड़ ने कहा कि जिन लोगों के लॉकडाउन के दौरान विवाह स्थगित हो गए थे। वह अब फिर से नए महूर्त निकलवाने लग गए हैं। उन्होंने कहा कि शास्त्रों के अनुसार शादी के फेरों की रस्म ज्यादातर दिन छिपने पर सायंकाल पहला पहर, रात्रि 11 बजे दूसरा पहर, तथा प्रात: चार बजे तीसरा पहर की महानता है। लेकिन हालत को बदलते देख धीरे-धीरे दिन के फेरों की रस्म भी शुरू हो गई। मध्यम वर्ग को मिली राहत: सुनील गुप्ता
सुनील गुप्ता मेडिकल रिप्रेजेंटिव लॉकडाउन से सीमित तरीके से हो रही शादियों को लोग सही भी मान रहे है। उनका कहना है की डीजे की फूहड़ता और फिजूल खर्ची कम हुई है। दो दशकों से शादियों पर जरूरत से ज्यादा खर्च होने लग गया था। स्टेट्स के कारण लोग लोन लेकर भी शादी पर ज्यादा खर्च करने को मजबूर थे। लेकिन महामारी के चलते हो रही साधारण शादियों से समाज के मध्यम वर्ग ने राहत की सांस ली है। लॉकडाउन के कारण अप्रैल में रद करनी पड़ी शादी: धर्मेद्र
बैंक कर्मी धर्मेंद्र पवार का कहना है कि उनकी शादी अप्रैल महीने में तय हुई थी तब एकदम कोरोना के कारण देशभर में लॉकडाउन लग गया था। लेकिन अब भले ही लॉकडाउन खुल गया है। अब नवंबर में फिर से महूर्त निकलवाकर शादी करवाएंगे। तब तक शायद सरकार की तरफ से शादी लिए सदस्यों की लिमिट बढ़ जाए।