क्या सोने के असली मेडल देकर सम्मान देने का खेल जमीन से जुड़ा था?
मोगा हाईवे के लिए अधिग्रहीत जमीन खरीदकर ज्यादा मुआवजा पाने के लालच में खरीद-फरोख्त करने वालों ने गत तीन मई को तहसील अधिकारियों को कोरोना योद्धा बताकर प्रॉपर्टी डीलरों ने असली स्वर्ण पदकों से नवाजा था।
जागरण संवाददाता, मोगा
हाईवे के लिए अधिग्रहीत जमीन खरीदकर ज्यादा मुआवजा पाने के लालच में खरीद-फरोख्त करने वालों ने गत तीन मई को तहसील अधिकारियों को कोरोना योद्धा बताकर प्रॉपर्टी डीलरों ने असली स्वर्ण पदकों से नवाजा था। अब घोटाला सामने आने के बाद ये चर्चा शुरू हो गई है कि ये आयोजन कहीं घोटाले की नैया को पार कराने में सहायक बने रेवेन्यू विभाग के अधिकारियों को खुश करने के लिए तो नहीं रखा गया था। आयोजन वाले दिन तेज आंधी व बारिश के कारण हाल ही में हटाए गए तहसीलदार दो घंटे तक सम्मानित होने के लिए आयोजन स्थल पर जमे रहे थे। हालांकि इस कार्यक्रम में कुछ बड़े अधिकारियों को भी शामिल किया गया था, ताकि कार्यक्रम को गरिमामय रूप दिया जा सके। जिन बड़े अधिकारियों को बुलाया गया था वो वास्तव में कोरोना योद्धा थे। अब ये चर्चा तूल पकड़ने लगी है कि उस दौरान बड़े अधिकारी तो सिर्फ मोहरा बने थे।
गौरतलब है कि अधिग्रहीत जमीन के खरीद-फरोख्त मामले में एक के बाद एक गड़बड़ियां सामने आने के साथ ही इस पूरे कांड में सबसे आगे रहने वाले कुछ लोगों ने विदेश उड़ने की तैयारी शुरू कर दी है, ताकि कानून के हाथ उन तक पहुंचे इससे पहले ही वे खुद को सुरक्षित कर सकें। जमीनों की गिरदावरियों से छेड़छाड़ कर जिस प्रकार से कृषि भूमि को रिहायशी प्लॉट और बाद में उन्हें कॉमर्शियल प्रॉपर्टी बनाने का प्रयास किया गया था, वह सारा रिकार्ड सामने आने के बाद अब रजिस्ट्रियां लिखने वाले वसीका नवीस व पटवारी, कानूनगो सभी उच्चाधिकारियों के निशाने पर आ गए हैं।
सूत्रों का कहना है कि डिप्टी कमिश्नर की कोशिश है कि इस मामले में सभी तथ्य सामने आएं, ताकि अधिग्रहण की राशि अवार्ड होने से पहले ही रची गई गई साजिश के हर खिलाड़ियों के चेहरे बेनकाब हो सकें।
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डीसी का नाम आते ही पलट गई बाजी
गौरतलब है कि जमीनों की खरीद फरोख्त के मामले को लेकर आम आदमी पार्टी व अकाली दल ने सीधा हमला बोला था। अकाली दल के पूर्व मंत्री सिकंदर सिंह मलूका ने तो इस पूरी साजिश में डीसी के शामिल होने का आरोप लगा दिया था। हालांकि डीसी ने उसी समय एलान कर दिया था कि जमीनों के मामलों का उनसे कोई सीधा मतलब नहीं है, किसी भी जांच का सामना करने को तैयार हैं। बाद में उन्होंने खुद पूरे मामले की जांच शुरू कराई को साजिश की परतें एक के बाद एक खुलने लगी हैं। साजिश के असल खिलाड़ी भी सामने आने लगे हैं।