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सिविल अस्पताल में लगे 1.38 मीट्रिक टन क्षमता वाले पहले आक्सीजन प्लांट का ट्रायल शुरू

। नेशनल हाईवे अथारिटी आफ इंडिया के सहयोग से 170 बेड के जिला स्तरीय मथुरादास सिविल अस्पताल में प्रतिदिन 1.38 मीट्रिक टन आक्सीजन पैदा करने वाले प्लांट का ट्रायल शुरू हो गया है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 21 Sep 2021 10:12 PM (IST)Updated: Tue, 21 Sep 2021 10:12 PM (IST)
सिविल अस्पताल में लगे 1.38 मीट्रिक टन क्षमता वाले पहले आक्सीजन प्लांट का ट्रायल शुरू

राज कुमार राजू,मोगा

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नेशनल हाईवे अथारिटी आफ इंडिया के सहयोग से 170 बेड के जिला स्तरीय मथुरादास सिविल अस्पताल में प्रतिदिन 1.38 मीट्रिक टन आक्सीजन पैदा करने वाले प्लांट का ट्रायल शुरू हो गया है। प्रति मिनट ये प्लांट एक हजार लीटर आक्सीजन पैदा करेगा। सीनियर मेडिकल अफसर डा.सुखप्रीत सिंह बराड़ के अनुसार ये प्लांट 24 घंटे 200 बेडों तक आक्सीजन सप्लाई करने में सक्षम है। अस्पताल में अभी 170 बेड ही हैं, जो आक्सीजन सरप्लस होगी, वे सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों को भेजी जाएगी ताकि वहां भी इमरजेंसी में मरीजों को आक्सीजन की सुविधा उपलब्ध कराई जा सके।

सिविल अस्पताल की पार्किंग में लगाए गए इस प्लांट के साथ ही इससे आधी क्षमता का एक अन्य प्लांट नेस्ले इंडिया के सहयोग से लगाया जा रहा है, ये प्लांट भी जल्द काम करना शुरू कर देगा। कोरोना काल में आए आक्सीजन के गंभीर संकट को देखते हुए डिप्टी कमिश्नर संदीप हंस ने नेशनल हाईवे अथारिटी आफ इंडिया व नेस्ले इंडिया के सामने सिविल अस्पताल में आक्सीजन प्लांट लगाने का प्रस्ताव रखा था। डीसी के आग्रह को देखते हुए दोनों ही संस्थाएं ये प्लांट लगाने को तैयार हो गई थीं।

एसएमओ डाक्टर सुखप्रीत सिंह बराड़ के अनुसार पहले प्लांट का ट्रायल पूरा होने के बाद सिविल अस्पताल आक्सीजन के मामले में पूरी तरह से आत्मनिर्भर हो जाएगा, अब सिविल अस्पताल को बाहर से आक्सीजन मंगाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। उन्होंने बताया कि ये प्लांट प्रति मिनट 9.60 लीटर आक्सीजन तैयार करेगा। अस्पताल के सभी वार्डों में प्लांट से पाइपलाइन के माध्यम से सीधे आक्सीजन सप्लाई होगी।

रोजाना डेढ़ से दो मीट्रिक टन आक्सीजन की होती है खपत : सिविल सर्जन सिविल सर्जन डाक्टर अमरप्रीत कौर बाजवा के अनुसार सिविल अस्पताल में प्रतिदिन औसतन डेढ़ से दो मीट्रिक टन आक्सीजन की खपत होती है। पहला प्लांट लगने के बाद 1.38 मीट्रिक टन आक्सीजन अस्पताल को मिलना शुरू हो जाएगी। आक्सीजन की जो कमी इस प्लांट के बाद रह जाएगी, इससे आधी क्षमता का नेस्ले के सहयोग से लग रहे दूसरे प्लांट के बाद वे कमी भी पूरी हो जाएगी, आक्सीजन जरूरत के हिसाब से ज्यादा तैयार होगी, जिसे सिलेंडरों के माध्यम से जिले भर के सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों को भेजा जाएगा।


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