आर्य माडल स्कूल के कार्यक्रम में हिदी का गौरव सिर चढ़कर बोला
विश्व हिदी दिवस के मौैके पर शहर के आर्य माडल हाई स्कूल में मंगलवार को भव्य समारोह करवाया गया।
जागरण संवाददाता.मोगा
हिदी भाषा कभी मर नहीं सकती, ये शरीर के अंतर्मन से निकलने वाली भाषा है। इसमें भावना है, संवेदना है, सहजता अरैा सरलता है। विश्व हिदी दिवस क मौैके पर शहर के आर्य माडल हाई स्कूल में मंगलवार को आयोजित भव्य समारोह में हिदी साहित्य के क्षेत्र में तेजी के साथ उभरते साहित्यकार एवं समालोचक डा.अनिल पांडेय को सम्मानित किया गया तो वहीं आतंकवाद के दौर में आतंकी मानसिकता पर 'लहू का एक मौसम' पुस्तक लिखकर राष्ट्रपति के हाथों सम्मानित हो चुके वरिष्ठ साहित्यकार सत्यप्रकाश उप्पल की नई पुस्तक 'मौन की अनुगूंज' का लोकार्पण हुआ। चुनाव लड़कर बने थे हिदी परिषद के सचिव
स्कूल के खचाखच भरे सभागार में आयोजित कार्यक्रम में वरिष्ठ अधिवक्ता बोधराज मजीठिया ने मोगा शहर की 60 साल पुराने हिदी के प्रति शहर की दीवानगी की यादों को ताजा कर दिया। उन्होंने स्कूल प्रबंध समिति को साठ साल पुराना चित्र भेंट किया जिसमें वे साल 1961-62 के लिए बनी हिदी परिषद डीएम कालेज का सचिव पद का चुनाव जीतकर सचिव निर्वाचित हुए थे। उस कालेज के उप प्राचार्य केएल कपूर हिदी परिषद के अध्यक्ष निर्वाचित हुए थे। 150 लोगों ने इन चुनावों में हिस्सा लिया था, जो इस बात की गवाह है कि कभी पंजाब की हिदी व संस्कृत की धुरी रहे मोगा शहर में हिदी के प्रति दीवानगी किस कदर थी कि शहर के प्रतिष्ठित लोग चुनाव लड़कर हिदी परिषद का हिस्सा बनते थे। प्रिसिपल ने पुरानी परंपरा को जिदा रखा
अंग्रेजी की चकाचौंध से भ्रमित नई पीढ़ी भले ही अपनी परंपरा से दूर हो गई हो लेकिन आर्य माडल हाईस्कूल की प्रिसिपल समीक्षा शर्मा एवं स्कूल प्रबंध समिति के महामंत्री नरिदर सूद ने विश्व हिदी दिवस को भव्य व गरिमामयी रूप देकर उस परंपरा को जिदा रखा है। शायद यही वजह है कि स्वास्थ्य सही न होने के कारण लंबे समय से भाषण से बच रहे वरिष्ठ साहित्यकार सत्यप्रकाश उप्पल ने समारोह में शामिल लोगों की मांग पर अपनी पुस्तक की कुछ पंक्तियां सुनाईं, शरीर भले ही अब पहले जैसा न रहा हो, लेकिन तेवर आज भी वैसे ही दिखे जैसे आतंकवाद के दौर में उन्होंने आतंकी मानसिकता पर अपनी कलम चलाकर आतंकियों को अपनी कलम से खुली चुनौती देने के हिम्मत की थी। काव्य पाठ के बाद उनके शब्द-साहित्यकारों को राख में भी अंगारों को जलाए रखना है, ना उम्मीदी के दौर में भी उम्मीद को बनाए रखना है, हाल में मौजूद नई पीढ़ी को नई ऊर्जा दे गया। वरिष्ठ साहित्यकार बने साक्षी
इस पूरे कार्यक्रम के साक्षी बने साहित्य एकेडमी दिल्ली से सम्मानित प्रसिद्ध उपन्यासकार बलदेव सिंह सड़कनामा, प्रख्यात व्यंग्यकार केएल गर्ग। हिदी परंपरा के गौरव को फिर से पुर्नजीवित करने के प्रयास को युवा प्रिसिपल समीक्षा शर्मा ने जिस अंदाज से संजोया था, उसमें बच्चों द्वारा प्रस्तुत कविता, दो छात्राओं साना व नाव्या के शास्त्रीय नृत्य व देश के दो बड़े चैनलों के लाइव प्रोग्राम के शीर्ष पर पहुंचने वाले गायक वंश वाधवा के गीतों हिदी का गौरव सिर चढ़कर बोला। इस प्रयास को स्कूल की वरिष्ठ अध्यापिका संतोष ने कबीर के दोहों को बच्चों द्वारा प्रस्तुत कराकर पूर्णता प्रदान की। इस पूरे कार्यक्रम का बड़े ही रोचक व मर्यादित ढंग से मंच संचालन स्कूल की अध्यापिका आशना शर्मा व शिवानी ने किया ।