सुविधा सेंटरों में नहीं हो रहे काम, लाइनों में कट रही लोगों की सुबह-शाम
70 साल की महिदर कौर चेहरे पर झुर्रियां अब तो टांगें भी जबाव देने लगी है। पति के निधन के बाद घर में आय का कोई साधन नहीं है तो अपने गांव खोसा पांडो से अब तक सुविधा सेंटर में चौथी बार पेंशन के लिए आवेदन करने आ चुकी है।
सत्येन ओझा, मोगा : 70 साल की महिदर कौर, चेहरे पर झुर्रियां, अब तो टांगें भी जबाव देने लगी है। पति के निधन के बाद घर में आय का कोई साधन नहीं है तो अपने गांव खोसा पांडो से अब तक सुविधा सेंटर में चौथी बार पेंशन के लिए आवेदन करने आ चुकी है। सुविधा सेंटर पर भीड़ बहुत थी, तो लाइन में जमीन पर ही बैठ गई, चार दिन महिदर कौर सुबह नौ बजे टोकन मिलने के बाद शाम तक बारी आने का इंतजार करती है, लेकिन बारी न आने पर काम हुए बिना ही लौटना पड़ता है। अगले दिन फिर नया टोकन लेकर लाइन में लगती है।
ये हाल सिर्फ बुजुर्ग महिदर कौर का ही नहीं है, बल्कि सुविधा सेंटर में आने वाले हर व्यक्ति का है। सरकार के साथ जिन शर्तों पर निजी कंपनी ने सुविधा सेंटर का संचालन अपने हाथों में लिया था, कंपनी ने सुविधा सेंटर के रूप में मिली सरकारी सुविधा का फायदा उठाकर अपना बिजनेस तो बढ़ा लिया, लेकिन लोगों को शर्तों के अनुसार सुविधाएं दे पाने में पूरी तरह नाकाम हो रही है। सरकार ने कंपनी को फोटोस्टेट का एक पेज प्रिट कराने पर 10 रुपये, कलर प्रिट का 50 रुपये वसूलने का अधिकार दे रखा है। यहां एक पेज का फार्म भरने का निजी कंपनी को 100 रुपये तक वसूलने का अधिकार दे दिया है, लेकिन जनता को जितने समय में काम करने की शर्त रखी है उसका ख्याल न सरकार को है न ही प्रशासन को। निजी कंपनी का ठेका सरकार के स्तर पर होने के कारण जिला प्रशासन के पास भी कार्रवाई के सीमित अधिकार हैं, जिससे चलते जिलेभर में सभी 13 सुविधा सेंटर लोगों को सुविधा देने के नाम पर असुविधा सेंटर बनते जा रहे हैं। केस.1
वजीफे के लिए दो दिन लगाए चक्कर, नहीं हुआ काम
चड़िक गांव की निवासी अमरजीत कौर गोद में दुधमुंहे बच्चे को लेकर सुबह नौ बजे पहले टोकन की लाइन में लगी, अमरजीत कौर अपनी बेटी के बजीफे का फॉर्म जमा करने पहुंची थी। पहले दिन 61 नंबर टोकन मिला, शाम को चार बजे नंबर न आने पर वापस लौटना पड़ा, बुधवार को फिर वह नौ बजे आई, इस बार टोकन नं.110 मिला, लेकिन इस बार भी फार्म जमा हुए बिना वापस लौटना पड़ा। केस.2
पैसे लेकर टोकन देने का आरोप
दशमेश नगर निवासी 65 साल के बलविदर सिंह पेंशन के लिए आवेदन करने के लिए बुधवार को तीसरी बार पहुंचे थे, इससे पहले तीन बार वापस लौट चुके हैं। बुधवार को उन्हें टोकन नं.61 मिला था। बलविदर का कहना है कि सुबह नौ बजे जब वे पहुंचे तो लाइन में 30-35 लोग भी नहीं थे, लेकिन उन्हें टोकन नं.61 दिया गया। बलविदर का आरोप है कि लोगों को पैसे लेकर टोकन दे दिया जाता है, उन्हीं के काम होते हैं। केस नं.3
लाइनों में कट जाता है दिन
आधार कार्ड में करेक्शन कराने के लिए राधास्वामी डेरा के निकट से बुजुर्ग कुलदीप कौर सुबह 10 बजे पहुंची थी, लेकिन दोपहर दो बजे तक लाइन में लगी हुई थी, बुजुर्ग होने के कारण कभी वह खुद लाइन में लगती थी, कभी उसके पति परमजीत सिंह लाइन में लगते। ये हैं टैंडर की शर्तें
सुविधा सेंटर के संचालन का ठेका लेने वाली कंपनी के साथ सरकार की शर्तों के अनुसार विभिन्न काम से आने वाले व्यक्ति को काउंटर में अधिकतम 7 मिनट से 25 मिनट तक काम करके वापस भेजना होता है, लेकिन हालत ये है कि लोग चार-चार दिन लाइन में लगकर वापस लौटते हैं। बड़ा सवाल ये है कि कंपनी के मुलाजिम प्रतिदिन की क्षमता के अनुसार ही टोकन बांटते हैं, क्षमता से ज्यादा होने पर टोकन बंद कर दिए जाते हैं। इसके बावजूद जिन लोगों को टोकन मिलते हैं उन्हें कई बार बिना काम के वापस लौटना पड़ता है। ऐसे मामले में कंपनी पर भारी पैनल्टी का प्रावधान है, लेकिन अभी तक कंपनी पर अधिकारी मेहरबान हैं, लोगों के काम नहीं हो पा रहे हैं, फिर भी उन पर पैनल्टी नहीं लग रही है।
कोट्स
इन दिनों में श्रमिकों के रजिस्ट्रेशन के मामले में लोगों में फैलाई गई अफवाह के कारण लोगों की भीड़ काफी ज्यादा हो रही है, सामान्य दिनों में समस्या नहीं आता है, फिर भी अगर किसी के साथ अन्याय हो रहा है, शिकायत मिलने पर उसकी जांच कर कंपनी पर पैनल्टी लगाई जाएगी।
लाल विश्वास बैंस, असिस्टेंट कमिश्नर जनरल एवं सुविधा सेंटर के नोडल अधिकारी