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अमानवीय यातनाएं देने का मामला : सस्पेंड थाना प्रभारी इंस्पेक्टर दो दिन बाद ही बहाल

थाने की हवालात में दो लोगों को अवैध हिरासत में रखकर उन्हें अमानवीय यातनाएं देने के मामले में आखिरकार सस्पेंड किए गए थाना सिटी-1 के प्रभारी इंस्पेक्टर जसवंत सिंह को दो दिन बाद ही एसएसपी ने बहाल कर उन्हें पुलिस के मानव तस्करी सेल का प्रभारी बना दिया है जबकि सस्पेंड किए गए मुंशी को थाना सदर में तैनात किया गया है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 14 Apr 2021 11:15 PM (IST)Updated: Wed, 14 Apr 2021 11:15 PM (IST)
अमानवीय यातनाएं देने का मामला : सस्पेंड थाना प्रभारी इंस्पेक्टर दो दिन बाद ही बहाल
अमानवीय यातनाएं देने का मामला : सस्पेंड थाना प्रभारी इंस्पेक्टर दो दिन बाद ही बहाल

जागरण संवाददाता.मोगा

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थाने की हवालात में दो लोगों को अवैध हिरासत में रखकर उन्हें अमानवीय यातनाएं देने के मामले में आखिरकार सस्पेंड किए गए थाना सिटी-1 के प्रभारी इंस्पेक्टर जसवंत सिंह को दो दिन बाद ही एसएसपी ने बहाल कर उन्हें पुलिस के मानव तस्करी सेल का प्रभारी बना दिया है, जबकि सस्पेंड किए गए मुंशी को थाना सदर में तैनात किया गया है।

इस संबंध में एसपी (एच) गुरदीप सिंह का कहना है कि अमानवीय यातनाएं देने के बाद में स्वास्थ्य विभाग में सुपरवाइजर पद पर कार्यरत महिदर पाल लूंबा की तरफ से पुलिस को कोई लिखित शिकायत नहीं मिली थी, जिस कारण उन्हें बहाल कर दिया गया है, अगर लिखित शिकायत मिलती तो कार्रवाई की जाती। अवैध हिरासत में रखने के मामले में या ऐसे मामलों में क्या बिना शिकायत के पुलिस स्वत: संज्ञान नहीं लेती है, इस पर एसपी एच ने यही कहकर बात खत्म कर दी कि कोई शिकायत नहीं मिली है।

शराब के नशे में धुत सरकारी वकील ने रसूख के बल पर पुलिस के जरिए एक सिक्योरिटी गार्ड व कंपनी के मैनेजर को हवालात की हवा क्या खिलाई कि मामला इंटरनेट मीडिया पर वायरल होने के चलते तूल पकड़ गया। देखते ही देखते पीड़ित पक्ष की ओर से हाई कोर्ट के जरिए वीडियो सबूत के आधार पर डीजीपी से इंसाफ की गुहार लगाई गई तो डीजीपी पंजाब ने गंभीरता दिखाते हुए सख्त कार्रवाई के आदेश जारी कर दिए। इसके बाद एसएसपी मोगा हरमनबीर सिंह गिल ने संज्ञान लेते हुए थाना सिटी वन के प्रभारी इंस्पेक्टर जसवंत सिंह को सस्पेंड करने समेत मुंशी यादविदर सिंह को लाइन हाजिर कर करने के आदेश जारी कर दिए, वहीं घटनाक्रम के मुख्य आरोपी एएसआइ अमरजीत सिंह को नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया। इसकी पुष्टि डीएसपी सिटी बरजिदर सिंह भुल्लर और थाना सिटी वन के नवनियुक्त प्रभारी इंस्पेक्टर गुरप्रीत सिंह ने की है। वहीं काबिले गौर है कि उक्त मामला फिलहाल हाई कोर्ट में भी सुनवाई अधीन है, जिसके चलते आगामी जांच के दौरान सबूतों के आधार पर रसूख का नाजायज फायदा उठाने वाले सरकारी वकील व उसके दोस्त पर भी गाज गिर सकती है। क्या है मामला

25 मार्च को शहीद भगत सिंह मार्केट में शाम के समय शराब के नशे में धुत एक सरकारी सेवारत प्रभावशाली व्यक्ति अपने दोस्त के साथ अपनी गाड़ी के पास खड़े थे। इसी दौरान वहां पर डीटीडीसी कोरियर कंपनी के मैनेजर लवकिरन सिंह और उसके सिक्योरिटी गार्ड ने उन्हें गाड़ी एक तरफ खड़ी करने का आग्रह किया, उनका कहना है कि कोरियर कंपनी की गाड़ी आने वाली है, वह यहीं पर खड़ी होकर लोड होगी। शराब के नशे में धुत प्रभावशाली व्यक्ति व उसके दोस्त ने सिक्योरिटी कंपनी के मैनेजर और उसके दोस्त के साथ पहले तो विवाद किया, बाद में हाथापाई पर उतर आए थे। इसी दौरान रसूख का फायदा उठाते हुए प्रभावशाली ने थाना सिटी से ड्यूटी अफसर एएसआइ अमरजीत सिंह को मौके पर बुलाया और सिक्योरिटी मैनेजर लवकिरन और उसके गार्ड को गिरफ्तार करवा दिया। एएसआइ ने दोनों लोगों को थाने में लाकर लकड़ी की काठ में उनकी टांगें फंसा दीं थी और उन्हें रिहा करने के एवज में कथित तौर पर 20 हजार रुपये की मांग की।

इस घटना को सेहत विभाग में कार्यरत सुपरवाइजर एवं सिक्योरिटी गार्ड के ही गांव के रहने वाले महिद्रपाल लूंबा ने वीडियो बनाकर फेसबुक पर वायरल कर दिया था। फेसबुक पर वीडियो वायरल होने पर हाईकोर्ट के वकील एचसी अरोड़ा ने हाईकोर्ट से माध्यम से डीजीपी दिनकर गुप्ता से जबाव मांगा तो मामले ने तूल पकड़ लिया। बाद में एसएसपी ने सात अप्रैल को तत्काल प्रभाव से थाना सिटी के तत्कालीन प्रभारी इंस्पेक्टर जसवंत सिंह को सस्पेंड करने के साथ ही मुंशी यादविदर सिंह को लाइन हाजिर कर दिया था, जबकि मुख्य आरोपी एएसआई अमरजीत सिंह को नौकरी से डिसमिस कर दिया था। बताया जाता है कि दो दिन बाद ही इंस्पेक्टर व मुंशी को बहाल कर फिर से उन्हें बड़ी जिम्मेदारी दे दी।


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