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शहर कांग्रेस की बैठक में सरपंचों का रहा बोलबाला

शिअद प्रत्याशी का चुनाव प्रचार जोर पकड़ने के साथ ही अब कांग्रेस नेता भी चुनाव प्रचार की गति को तेज करने में जुट गए हैं।

By JagranEdited By: Published: Mon, 15 Apr 2019 11:43 PM (IST)Updated: Tue, 16 Apr 2019 06:16 AM (IST)
शहर कांग्रेस की बैठक में सरपंचों का रहा बोलबाला

जागरण संवाददाता, मोगा : शिअद प्रत्याशी का चुनाव प्रचार जोर पकड़ने के साथ ही अब कांग्रेस नेता भी चुनाव प्रचार की गति को तेज करने में जुट गए हैं। कांग्रेस नेतृत्व के लिए सबसे बड़ी बाधा इस समय जिला व शहर में पार्टी संगठन गठित न हो पाना है, जिससे पार्टी में हड़बड़ाहट साफ तौर पर दिखने लगी है। सोमवार देर शाम को पुरानी दाना मंडी में कांग्रेस के शहर अध्यक्ष की ओर से बुलाई गई बैठक में शहर से ज्यादा गांव के सरपंच दिखाई दिए।

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गौरतलब है कि विधायक डॉ.हरजोत कमल की उपस्थिति में शहर कांग्रेस की बुलाई गई बैठक में शहर अध्यक्ष विनोद बंसल ने ऐलान किया कि फरीदकोट लोकसभा क्षेत्र से कांग्रेस प्रत्याशी मोहम्मद सदीक का चुनाव प्रचार अभियान मोगा में 18 अप्रैल से गांव सिघावाला से शुरू होगा। बैठक में किसी भी कार्यकर्ता को कोई जिम्मेदारी नहीं सौंपी गई, सिर्फ इतना ही कहा गया कि मोहम्मद सदीक के चुनाव प्रचार में ज्यादा से ज्यादा भीड़ जुटाएं, पार्टी के लिए सभी कार्यकर्ता जुट जाएं।

बैठक में शहर अध्यक्ष विनोद बंसल ने बताया कि 18 अप्रैल को दुन्नेके में पार्टी प्रत्याशी मोहम्मद सदिक के चुनावी दफ्तर का उद्घाटन किया जाएगा। इसके साथ ही 30 अप्रैल व 9 मई को भी मोहम्मद सादिक का कार्यक्रम मोगा विधानसभा क्षेत्र में रहेगा। 24 अप्रैल को मोहम्मद सदिक अपना नामांकन पत्र दाखिल करेंगे।

ठीक यही स्थिति पिछले सप्ताह कांग्रेस के जिलाध्यक्ष की बैठक में दिखाई दी थी। उस समय जिला कांग्रेस के ज्यादा से ज्यादा पूर्व जिलाध्यक्ष तो पहुंचे थे, लेकिन उसमें ग्रामीण क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कम था, शहरी प्रतिनिधित्व ज्यादा था। पार्टी सूत्रों का कहना है कि अभी तक न तो जिलाध्यक्ष महेशइंदर सिंह अपनी जिला कार्यकारिणी बना सके हैं, न ही शहर अध्यक्ष विनोद बंसल अपनी कार्यकारिणी का गठन कर सके हैं। ऐसे में दोनों ही इकाइयां चुनावी रणनीति के लिए कोई रणनीतिक फैसला नहीं ले पा रही हैं। न ही कार्यकर्ताओं में उनके कामकाज की जिम्मेदारी बांटी जा पा रही है। सिर्फ कार्यकर्ताओं को भीड़ जुटाने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। ऐसे में कायकर्ताओं के सामने बड़ा संकट ये है कि वे बिना किसी जिम्मेदारी के किस पहचान के साथ कार्यकर्ताओं के बीच जाएंगे।


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