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आरपीएफ इंस्पेक्टर ने मांगे अनपढ़ों के लिखित बयान

रेलवे स्टेशन पर कथित रूप से आरपीएफ व एफसीआइ मुलाजिमों की मिलीभगत से चल रहे एफसीआइ के चावल चोरी के मामले की जांच के लिए पहुंचे फिरोजपुर आरपीएफ इंस्पेक्टर नरिदर सिंह ने दो अनपढ़ गवाहों के बयान ये कहकर दर्ज करने से मना कर दिया कि आरपीआइ के नियम ऐसे गवाहों की गवाही नहीं मानती है जो अपने बयान खुद हाथ से नहीं लिख सकते हैं।

By JagranEdited By: Published: Wed, 23 Oct 2019 08:19 PM (IST)Updated: Wed, 23 Oct 2019 08:19 PM (IST)
आरपीएफ इंस्पेक्टर ने मांगे अनपढ़ों के लिखित बयान

जागरण संवाददाता, मोगा : रेलवे स्टेशन पर कथित रूप से आरपीएफ व एफसीआइ मुलाजिमों की मिलीभगत से चल रहे एफसीआइ के चावल चोरी के मामले की जांच के लिए पहुंचे फिरोजपुर आरपीएफ इंस्पेक्टर नरिदर सिंह ने दो अनपढ़ गवाहों के बयान ये कहकर दर्ज करने से मना कर दिया कि आरपीआइ के नियम ऐसे गवाहों की गवाही नहीं मानती है जो अपने बयान खुद हाथ से नहीं लिख सकते हैं। उन्होंने छह में सिर्फ उन्हीं दो गवाहों की गवाही ली जिन्होंने खुद अपने बयान लिखकर दिए। मामले का पर्दाफाश 28 जुलाई को चावल उठाने वाली दो महिलाओं के बीच झगड़े के बाद हुआ था।

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जानकारी के अनुसार मोगा रेलवे स्टेशन के निकट एफसीआइ का चावल रेलगाड़ियों में लोड होता है। फिरोजपुर डीआरएम ऑफिस में एफसीआइ और आरपीएफ के कुछ मुलाजिमों की मिलीभगत से लोडिग के समय चावल चोरी करने का मामला सामने आया था। शिकायत में आरपीएफ के मुलाजिम के साथ एफसीआइ के एक इंस्पेक्टर का नाम भी लिखा गया है। साजिश के तहत लोडिग के समय बोरियों में छेद करके काफी मात्रा में चावल जमीन पर नीचे गिरा दिया जाता है। बाद में कुछ लोग इस चावल को बोरियों में भरकर ले जाते हैं जिन्हें बेच दिया जाता है।

डीआरएम ऑफिस में की गई शिकायत में आरोप लगाया गया है कि आरपीएफ का एक मुलाजिम चावल को बोरियों में भरकर ले जाने वालों से प्रति बोरी 50 रुपये वसूलता है। बाद में एकत्र होने वाली राशि आरपीएफ व एफसीआइ मुलाजिमों में बंटती है।

यह मामला 27 जुलाई को उस समय सामने आया जब चावल उठाने वाली सुनीता रानी नामक एक महिला का चावल उठाने वाली एक अन्य महिला के साथ झगड़ा हो गया। सुनीता रानी का आरोप है कि आरपीएफ के मुलाजिम को रिश्वत देने से मना करने पर उसने कुलदीप नामक महिला को भड़काकर उसके साथ उसका झगड़ा करा दिया था। झगड़े के दौरान हुई मारपीट का मामला थाना सिटी पुलिस में पहुंचा था। मामला रेलवे की हद का होने के कारण थाना सिटी-1 ने शिकायत आरपीएफ को ट्रांसफर कर दी थी।

आरपीएफ ने दोनों पक्षों को 28 अक्टूबर को समझौते के लिए बुलाया था, लेकिन आरपीएफ जवानों की मौजूदगी में ही समझौते के दौरान विवाद होने पर सुनीता रानी के पक्ष के लोगों पर हमला बोल दिया, जिसमें सुनीता रानी के पति हंसराज को चोट आई थीं, उसे सिविल अस्पताल में भर्ती कराया गया था।

कार्रवाई न होने पर सुनीता रानी ने रेलवे स्टेशन पर आरपीएफ की शह पर चल रहे चावल चोरी के गोरखधंधे की शिकायत डीआरएम ऑफिस फिरोजपुर की थी। इसी मामले की जांच के लिए फिरोजपुर से इंस्पेक्टर नरिदर सिंह मंगलवार को मोगा में पहुंचे थे।

सुनीता रानी पक्ष की ओर से राजीव कुमार व दर्शन सिंह ने तो अपने लिखित बयान दर्ज करा दिए, लेकिन सोहनलाल, राजकुमार रवि और शेखर के बयान इंस्पेक्टर नरिदर सिंह ने ये कहकर दर्ज करने से इनकार कर दिया कि आरपीएफ के नियमों के अनुसार किसी के बयान कोई और लिखे इस नियम को आरपीएफ नहीं मानता है। इंस्पेक्टर नरिदर सिंह ने बताया कि वे उसी का बयान दर्ज करेंगे जो लिखकर दे सकता है। यह है कानून

एडवोकेट मनविदर सिंह सग्गू का कहना है कि आरपीएफ इंस्पेक्टर का ये तर्क कानूनी रूप से गलत है। जूडीशियली में अनपढ़ अपने बयान देते हैं, उनका थंब इप्रेशन लगता है, आरपीएफ के नियम इंडियन पीनल कोड से अलग कैसे हो जाएंगे।


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