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बीस सालों से मरीजों की इम्युनिटी बढ़ा रहे राजकुमार

मोगा बीस साल पहले कुछ समाजसेवियों को जालंधर सिविल अस्पताल में मरीजों को दूध व दलिया बांटते देखकर राजकुमार अरोड़ा के मन में इस मानवीय कार्य को अपने शहर मोगा में शुरू करने का भावना हिलोरें लेने लगीं।

By JagranEdited By: Published: Sat, 06 Jun 2020 11:47 PM (IST)Updated: Sun, 07 Jun 2020 06:15 AM (IST)
बीस सालों से मरीजों की इम्युनिटी बढ़ा रहे राजकुमार
बीस सालों से मरीजों की इम्युनिटी बढ़ा रहे राजकुमार

तरलोक नरूला, मोगा

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बीस साल पहले कुछ समाजसेवियों को जालंधर सिविल अस्पताल में मरीजों को दूध व दलिया बांटते देखकर राजकुमार अरोड़ा के मन में इस मानवीय कार्य को अपने शहर मोगा में शुरू करने का भावना हिलोरें लेने लगीं। वहां से लौटकर उन्होंने अपने कुछ साथियों के साथ इस बारे में विचार-विमर्श किया। इसके बाद सभी साथियों ने एक स्वर से राजकुमार अरोड़ा के इस कार्य की सराहना करते हुए इसे शुरू करने को सहमति दे दी। बस फिर किया था। निष्काम सेवा लंगर कमेटी का गठन कर 28 सितंबर, 2000 से मथुरादास सिविल अस्पताल में हर रोज सुबह मरीजों को दूध व दलिया पहुंचाने का ये काम अनवरत जारी है। सर्दी, गर्मी या बारिश का मौसम मानवता की सेवा में कभी बाधक नहीं बना। कोरोना संक्रमण के चलते हालांकि जरूर कुछ दिनों के लिए प्रशासन की सलाह पर इस काम को रोक दिया गया है, लेकिन अनुमति मिलते ही फिर पूरी टीम पूरे जोश के साथ इस काम को शुरू करेगी।

इस बारे में निष्काम सेवा लंगर कमेटी के प्रधान राज कुमार अरोड़ा ने बताया कि वह वर्ष 2000 में किसी कारणवश जालंधर में सरकारी अस्पताल में गए थे। इसके बाद वहां एक संस्था को मरीजों को दूध दलिया वितरित करते देख मन में समाजसेवा की भावना पैदा हुई थी। तब पूज्य भगत हंस राज जी गोहाना वालों के आशीर्वाद से उस वर्ष 28 सितंबर को संस्था को गठन कर मोगा के सरकारी अस्पताल में उक्त सेवा शुरू की। उनके साथ कश्मीरी लाल जिदल, संतराम, गोरा मित्तल, दविदर अरोड़ा, गुरप्रीत लाली, नरिदर भारद्वाज, नरिदर बांसल, दविदर मित्तल, केवल सिगला आदि इस मानवीय कार्य में जुड़े हैं।

बाद में संस्था ने दूध दलिया का काम जारी रखते हुए चार अक्टूबर 2014 को निष्काम सेवा चैरिटेबल अस्पताल की भी स्थापना कर मरीजों का नि:शुल्क चेकअप मेडिकल चेकअप कराना शुरू कर दिया। यहां शुगर, बीपी आदि चेकअप के लिए आने वाले मरीजों के लिए भी नि:शुल्क लंगर की व्यवस्था रहती है। जनवरी में कड़ी सर्दी में संस्था के साथी घरों से खाना बनबाकर झुग्गी झोपड़ी वालों को भी वितरित करते हैं।


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