गेहूं की सरकारी खरीद शुरू, मार्केट कमेटी नहीं बांट सकी टोकन
जिले में गेहूं की सरकारी खरीद दो दिन बाद शुरू हो सकी।
जागरण संवाददाता.मोगा
जिले में गेहूं की सरकारी खरीद दो दिन बाद शुरू हो सकी। पहले दिन मार्केट कमेटी किसानों को टोकन नहीं बांट सकी। दोपहर तक टोकन प्रिट किए जा रहे थे, मार्केट कमेटी खरीद को लेकर पहले से तैयार ही नहीं थी। ऐसे में किसानों को शेड में जहां जगह मिली वहीं उन्होंने गेहूं की ढेरियां लगा दीं, कोरोना संक्रमण को देखते हुए सफेद रंग के जो ब्लाक बनाए गए हैं वह किसी काम नहीं आए।
शेड के बाहर तेज धूप होने के कारण हर किसान की प्राथमिकता शेड में ही गेहूं उतारने की है। गेहूं लेकर मंडी में पहुंचे किसानों का आरोप है कि रात के समय गेहूं चोरी की घटनाएं बहुत हो रही हैं, वे पूरी रात नहीं जाग सकते। आवारा पशुओं की भी बड़ी समस्या है। पहले दिन कुल 65050 क्विंटल गेहूं की आमद के विपरीत 24100 क्विटल गेहूं की खरीद हो सकी।
गौरतलब है कि सरकारी खरीद सोमवार को दोपहर में शुरू हुई, इस मौके पर खरीद एजेंसियों के अधिकारी मौजूद थे, उनके साथ कांग्रेस विधायक डा.हरजोत कमल के प्रतिनिधि के रूप में जगसीर सिंह सीरा भी खरीद के दौरान पहुंचे थे, उन्होंने किसानों से उनकी समस्याओं से संबंध में बातचीत की, साथ ही भरोसा दिया कि उन्हें जो भी परेशानी आ रही हैं, उन्हें हर हाल में दूर कराया जाएगा।
जिला मंडी अधिकारी मनदीप सिंह ने बताया कि जिले की मंडियों में अब तक 65050 क्विंटल गेहूं की आमद हो चुकी है। 24,100 क्विंटल गेहूं की खरीद की जा चुकी है। डीएफएससी सरताज सिंह चीमा ने बताया कि खरीद सभी 109 अनाज मंडियों में शुरू हो गई है। 148 अस्थायी यार्ड भी खरीद के लिए बनाए गए हैं।
तीन दिन से मंडी में बैठे हैं
डगरू से आए किसान जसवंत सिंह ने बताया कि वे तीन दिन से मंडी में गेहूं लेकर बैठे हैं, रात को उनका काफी गेहूं चोरी हो चुका है। आवारा जानवर परेशान करते हैं।
नुकसान अदाणी का नहीं, किसान व देश का
डगरू स्थित अदाणी के साइलो प्लांट में तीसरे दिन भी आंदोलन कर रहे किसानों ने गेहूं स्टोर नहीं कराने दिया। हालांकि इस पूरी प्रक्रिया में नुकसान अदाणी कंपनी का नहीं, किसानों का व देश का हो रहा है। अदाणी का साइलो प्लांट 22 साल के लिए एफसीआइ के पास किराये पर है, साइलो प्लांट में गेहूं स्टोर हो या नही हो, एफसीआइ को तो पूरा किराया अदा करना पड़ेगा। पिछले सालों में किसानों की प्राथमिकता अदाणी कंपनी के प्लांट में गेहूं स्टोर की रहती थी क्योंकि वहां उनका गेहूं स्टोर होते ही एफसीआइ के रिकार्ड में आ जाता था, न बारदाने की जरूरत होती थी न तुलाई की। 48 घंटे में पेमेंट सीधे किसान के खाते में आ जाता था। मंडी में गेहूं की बोली लगने के बाद जब लिफ्टिंग शुरू होकर किसान का गेहूं एफसीआइ के गोदाम में पहुंचेगा उसके 48 घंटे बाद भुगतान होगा। यानि मंडी में दो से तीन दिन ज्यादा लग जाते हैं, तुलाई में सबसे ज्यादा किसान का नुकसान होता है।