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बेटे से किया वादा पूरा नहीं कर सके जैमल सिंह, एक मनहूस खबर ने तोड़ दी उम्मीदें

कश्मीर के पुलवामा क्षेत्र में आतंकी हमले में सीआरपीएफ की बस के चालक जैमल सिंह भी शहीद हो गए। वह मोगा के कस्बा कोट ईसे खां के मूल निवासी थे।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Fri, 15 Feb 2019 12:57 PM (IST)Updated: Fri, 15 Feb 2019 08:30 PM (IST)
बेटे से किया वादा पूरा नहीं कर सके जैमल सिंह, एक मनहूस खबर ने तोड़ दी उम्मीदें
बेटे से किया वादा पूरा नहीं कर सके जैमल सिंह, एक मनहूस खबर ने तोड़ दी उम्मीदें

जेएनएन, मोगा। कश्मीर के पुलवामा क्षेत्र में आतंकी हमले में सीआरपीएफ की बस के चालक जैमल सिंह भी शहीद हो गए। वह कुछ दिन पहले ही छुट्टी से लौटे थे। उन्होंने अपने इकलौते पांच वर्षीय बेटे से वादा किया था कि वह फिर जल्दी ही छुट्टी आएगा और उसका एडमिशन विवेकानंद स्कूल पंचकूला में करवाएगा। लेकिन, एक मनहूस खबर ने परिवार की उम्मीदों को तार-तार कर दिया।

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जैमल की शादी 17 साल पहले सुखजीत कौर से हुई थी। घर में बच्चे की किलकारियां शादी के 12 साल बाद गूंजी। वह बेटे को अच्छे स्कूल में एडमिशन दिलाना चाहता था। यही कारण था कि उसने परिवार को जालंधर में रखा हुआ था। अब वह बेटे को अच्छी शिक्षा दिलाने के लिए पंचकूला शिफ्ट होने की तैयारी में था। जैमल मोगा के कस्बा कोट ईसे खां का मूल निवासी था। उनकी शहीदी की सूचना जैसे ही यहां पहुंची तो उनका परिवार जालंधर रवाना हो गया। जैमल सिंह की पत्नी सुखजीत कौर जालंधर सीआरपीएफ कैंप में रह रही है।

शहीद जैमल का बेटा गुरप्रकाश सिंह।

जैमल सिंह ने अपनी पत्नी सुखजीत कौर को कल सुबह 8 बजे अंतिम बार फोन किया था। उसने बताया था वह बटालियन के साथ जम्मू से कश्मीर के लिए जा रहे हैं। जैमल बटालियन में एमटी इंचार्ज था। अधिकांश समय दफ्तर में ही रहता था। संयोग से वह कल खुद अपनी बटालियन की बस को ड्राइव करके ले गया था। जैमल की शहादत की खबर सुनते ही पूरा गांव शोकाकुल हो गया।

शहीद जैमल सिंह का पार्थिव शरीर अभी गांव नहीं पहुंचा है। ग्रामीण पार्थिव शरीर के आने का इंतजार कर रहे हैं। पारिवारिक सदस्यों के पास शोक संवेदना जताने पूर्व शिक्षा मंत्री जत्थेदार तोता सिंह, नगर कौंसिल अध्यक्ष अश्विनी कुमार भी पहुंचे।

वहीं, जैमल सिंह का बड़ा भाई नसीब सिंह मलेशिया में है। सूचना मिलने के बाद नसीब मलेशिया से मोगा के लिए चल पड़ा है। उसके शनिवार दोपहर तक यहां पहुंचने की संभावना है। उसके आने के बाद ही शहीद का अंतिम संस्कार किया जाएगा।

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