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आइएसएफ को मिला पंजाब का पहला एडीआरएमसी

आइएसएफ कॉलेज ऑफ फार्मेसी में मंगलवार को देश का निजी कॉलेज में दूसरा और पंजाब में पहला एडवर्स ड्रग रिएक्शन मोनीट¨रग सेंटर (एडीआरएमसी) शुरू हुआ।

By JagranEdited By: Published: Tue, 12 Feb 2019 11:55 PM (IST)Updated: Tue, 12 Feb 2019 11:55 PM (IST)
आइएसएफ को मिला पंजाब का पहला एडीआरएमसी
आइएसएफ को मिला पंजाब का पहला एडीआरएमसी

जागरण संवाददाता, मोगा:आइएसएफ कॉलेज ऑफ फार्मेसी में मंगलवार को देश का निजी कॉलेज में दूसरा और पंजाब में पहला एडवर्स ड्रग रिएक्शन मोनीट¨रग सेंटर (एडीआरएमसी) शुरू हुआ। ये सेंटर खुलने से पंजाब की मार्केट में प्रचलित दवाओं के साइड इफेक्ट और मरीजों को लिखे जा रहे गलत प्रिसक्रिप्शंस पर अंकुश लगेगा। सेंटर मार्केट में चल रही दवाओं के साइड इफेक्ट पर स्टडी कर अपनी रिपोर्ट भारत सरकार को भेजेगी, ताकि हानिकारक दवाओं को या तो मार्केट से बाहर किया जाय, या फिर उनमें जरूरत के अनुसार मोडीफिकेशन हो।सेंटर इंडिया फार्मास्यूटिकल कमीशन के तहत फार्माकोविजिलेंस प्रोग्राम आफ इंडिया की मंजूरी के बाद शुरू किया गया है।सेंटर का उद्घाटन आल इंडिया इंस्टीटयूट ऑफ मेडिकल साइंसिस (एम्स) भोपाल के अध्यक्ष प्रो.वाईके गुप्ता ने किया।

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प्रो. वाईके गुप्ता का संस्थान में पहुंचने पर चेयरमैन प्रवीन गर्ग, डायरेक्टर डॉ.जीडी गुप्ता, वाइस¨प्रसीपल डॉ.आरकेनारंग, फार्मडी विभाग के अध्यक्ष अमित शर्मा, फार्मा कोविजिलेंस के हेड डॉ.शमशेर ¨सह ने फूलों का गुलदस्ता भेंट करके स्वागत किया।

क्या होगी सेंटर की भूमिका

भारत सरकार ने बाजार में प्रचलित दवाओं के हानिकारक प्रभाव को रोकने पर दवाओं की मोनीट¨रग के लिए 14 जुलाई 2010 को भारत सरकार ने फार्मा कोविजिलेंस प्रोग्राम ऑफ इंडिया शुरू किया था, जिसके तहत पहला सेंटर प्रो.वाई.के.गुप्ता के निर्देशन में आल इंडिया इंस्टीटयूट ऑफ मेडीकल साइंस (एम्स) नई दिल्ली में स्थापित किया गया था। पूरे देश में इस समय देश के मेडिकल कॉलेजों एवं रिसर्च सेंटरों में कुल 250 एडवर्स ड्रग रिएक्शन मोनीट¨रग सेंटर चलाए जा रहे हैं। इनमें से निजी शैक्षिक संस्थान को दिया गया ये देश का दूसरा सेंटर है, इससे पहले एक सेंटर जेएसएस मैसूर में चल रहा है। दूसरा सेंटर आइएसएफ मोगा को मिला है।

कैसे काम करेगा सेंटर

आइएसएफ में रिसर्च कर रहे स्टूडेंट पंजाब भर व पंजाब से बाहर दूसरे प्रदेश के हॉस्पीटल आदि में जाकर मरीजों को लिखे जा रहे ्िरप्रिसक्रिप्शन व मरीजों पर उसके असर की स्टडी करेंगे। अगर दवा के असर का कोई साइड इफेक्ट आता है तो उसकी पूरी रिपोर्ट तैयार कर भारत सरकार के फार्माकोविजिलेंस योजना को रिपोर्ट भेजी जाएगी, ताकि उसे पर दवा को बाजार से बाहर किया जा सके। 2010 से लेकर अब देश भर में 360 दवाओं को बाजार में प्रतिबंधित किया जा चुका है। न्यूमोस्लाइड टेबलेट पहले सभी उम्र के मरीजों को दी जाती थी, एडवर्स ड्रग रिएक्शन मोनीट¨रग सेंटर की रिपोर्ट पर अब ये दवा साइड इफेक्ट को देखते हुए बच्चों के लिए प्रतिबंधित की जा चुकी है।

चिकित्सा क्षेत्र में आएगी नई क्रांति:वाइके गुप्ता

प्रो. वाइके गुप्ता ने कहा कि ये सेंटर फार्मडी एवं फार्माकोलॉजी के विद्यार्थियों के लिए बहुत ही उपयोगी साबित होगा। इससे चिकित्सा क्षेत्र में नई क्रांति आएगी। आम आदमी के स्वास्थ्य की रक्षा हो सकेगी, साथ ही गलत दवाओं को बाजार से बाहर करने में मदद मिलेगी। इस मौके पर आयोजित वर्कशाप में 200 से अधिक एमफार्म, फार्मडी के छात्रों एवं फैकल्टी ने भाग लिया। फार्माडी विभाग के विभागाध्यक्ष अमित शर्मा ने सभी अतिथियों का आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम का संचालन प्रो.सौरभ कोसे, डॉ. हेमराज, डॉ. मनदीप कौर ने किया।


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